राजस्थान के 25 जिलों में फैल रहा जूलीफ्लोरा का जहर, 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा
राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2010-11 में रणथंभौर सहित राज्य के अन्य अभयारण्यों और रेगिस्तानी इलाकों से जूली फ्लोरा को हटाने के प्रयास शुरू किए गए थे। वन विभाग ने केंद्र सरकार को 25 जिलों से जूली फ्लोरा को हटाने का प्रस्ताव भेजा था। आपको बता दें कि कुछ जिलों में जूली फ्लोरा को हटाने और चारागाह विकसित करने का काम शुरू भी हुआ था। लेकिन बाद में वित्त की कमी के कारण मामला अटक गया। इससे राज्य में जंगली बबूल का साम्राज्य बढ़ता गया।
ये जिले किए गए थे शामिल
वन विभाग के अनुसार, केंद्र सरकार को पहले भेजे गए प्रस्ताव में सवाई माधोपुर, करौली, कोटा, बूंदी, बाड़मेर, सीकर, भरतपुर, धौलपुर, जैसलमेर, अलवर, टोंक, डूंगरपुर, सिरोही, अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, उदयपुर, पाली और जयपुर जिले शामिल थे।
सिर्फ इतना ही काम हो पाया
इसके लिए विभाग की ओर से कुल 954 करोड़ का बजट मांगा गया था। जूली फ्लोरा को हटाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चरणबद्ध तरीके से बजट जारी किया गया था। इस दौरान अजमेर में 2500 हेक्टेयर, कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, अलवर में 159 हेक्टेयर, सवाई माधोपुर में 600 हेक्टेयर, टोंक में 400 हेक्टेयर, बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 200 हेक्टेयर क्षेत्र से जूली फ्लोरा को हटाया गया। लेकिन लगातार बजट न मिलने के कारण यह मामला लटकता चला गया।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में पिछले कई वर्षों से जूली फ्लोरा को हटाने का काम चल रहा है। लेकिन कभी इसकी जड़ें रह जाती हैं तो कभी इसके बीज जमीन पर पड़े रह जाते हैं। इसके लिए लगातार बजट की जरूरत है। साथ ही, जूली फ्लोरा को हटाने के लिए इसका लगातार उन्मूलन भी जरूरी है।
