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चौथ का बरवाड़ा में अतिवृष्टि से फसलें तबाह, लेकिन किसानों को अब तक नहीं मिला खरीफ नुकसान का मुआवजा

 
चौथ का बरवाड़ा में अतिवृष्टि से फसलें तबाह, लेकिन किसानों को अब तक नहीं मिला खरीफ नुकसान का मुआवजा

चौथ का बरवाड़ा तहसील क्षेत्र में इस वर्ष हुई अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी, लेकिन इसके बावजूद अब तक किसी भी किसान को खरीफ फसल नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाया है। भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया, जिससे सोयाबीन, बाजरा, उड़द, मूंग और अन्य खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। फसलें सड़ गईं या पूरी तरह नष्ट हो गईं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

किसानों का कहना है कि अतिवृष्टि के दौरान कई दिनों तक लगातार बारिश होती रही, जिससे खेतों से पानी निकलने का रास्ता ही बंद हो गया। खासतौर पर निचले इलाकों में स्थित खेतों में लंबे समय तक जलभराव रहा, जिसके चलते फसलें पूरी तरह खराब हो गईं। कुछ किसानों ने दोबारा बुवाई करने का प्रयास किया, लेकिन मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण वह भी सफल नहीं हो सका।

स्थानीय किसानों ने बताया कि फसल नुकसान के बाद उन्होंने संबंधित पटवारी, गिरदावर और कृषि विभाग को समय रहते सूचना दी थी। इसके बावजूद अब तक न तो नुकसान का सही आकलन किया गया और न ही मुआवजा राशि उनके खातों में पहुंची है। इससे किसानों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है।

किसानों का आरोप है कि प्रशासन की ओर से सिर्फ कागजी कार्रवाई की जा रही है। कई बार तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। किसानों का कहना है कि खरीफ सीजन खत्म हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन मुआवजा नहीं मिलने से वे रबी की बुवाई भी समय पर नहीं कर पाए। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो गई है।

किसान संगठनों ने भी इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई है। संगठनों का कहना है कि सरकार प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत देने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा। उन्होंने जल्द से जल्द सर्वे कराकर मुआवजा देने की मांग की है।

इस संबंध में तहसील प्रशासन का कहना है कि अतिवृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। जैसे ही सरकार से मुआवजा राशि स्वीकृत होगी, किसानों को लाभ दिया जाएगा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में दस्तावेजों की कमी या तकनीकी कारणों से देरी हुई है, जिन्हें जल्द दूर किया जाएगा।

हालांकि किसानों का कहना है कि यदि शीघ्र ही मुआवजा नहीं मिला तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। किसानों ने सरकार से मांग की है कि अतिवृष्टि से हुए नुकसान को गंभीरता से लेते हुए तत्काल राहत राशि जारी की जाए, ताकि वे दोबारा खेती के लिए तैयार हो सकें और परिवार का भरण-पोषण कर सकें।