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Sawaimadhopur किसान ने कहा- जैविक खाद से खेती करने पर फसल अच्छी और सस्ती होती है

 
Sawaimadhopur किसान ने कहा- जैविक खाद से खेती करने पर फसल अच्छी और सस्ती होती है

सवाई माधोपुर न्यूज़ डेस्क, सवाई माधोपुर मित्रपुरा जिले में इन दिनों यूरिया खाद की किल्लत है। समय पर यूरिया खाद नहीं मिलने से जिले भर के किसान सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं। इन दिनों जिले में नहरें खुल जाने व समय से यूरिया खाद डालने के कारण किसान सहकारी समितियों व निजी खाद विक्रेताओं की दुकानों पर सुबह से शाम तक खड़े रहते हैं. कई किसानों को कई दिन बीत जाने के बाद भी बोरा खाद नहीं मिल पा रहा है। खाद के लिए किसानों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। लेकिन कई किसानों की बारी आने से पहले ही खाद खत्म हो जाती है। कृषि अधिकारी महेश शर्मा ने बताया कि जिले में ऐसे किसान हैं जो यूरिया खाद के भरोसे रहने के बजाय जैविक खाद से फसल और सब्जियां उगा रहे हैं. इन किसानों को न तो सुबह चार बजे उठकर खाद के लिए कतार में लगना पड़ता है और न ही खाद के लिए चक्कर लगाना पड़ता है। उनकी फसल भी महंगे दामों पर बिकती है। जैविक उत्पाद केमिकल से अधिक कीमत पर बिक रहे हैं, रासायनिक गेहूं 2 से 2.5 हजार रुपये, जैविक गेहूं 3 से 5 हजार रुपये, रासायनिक सरसों 6 से 7 हजार रुपये, जैविक सरसों 10 से 12 हजार रुपये।

नंटोडी गांव निवासी कैलाशी देवी ने बताया कि हमने करीब 5 बीघे में गेहूं बोया है। इनमें केमिकल की जगह जैविक खाद दी जाती है, जो केमिकल से सस्ती होती है। इसमें केवल जीवा अमृत, घन जीवा अमृत और जैविक अर्क को देसी गाय के गोबर और गोमूत्र के साथ मिलाया जाता है, जो बहुत सस्ता होता है और फसल भी अच्छे से तैयार होती है। मजेवाला निवासी सुरेश वैष्णव ने बताया कि हमें कभी यूरिया खाद की जरूरत महसूस नहीं हुई। जैविक खाद से भी फसल अच्छी होती है। जैविक खाद से उत्पादित गेहूं खाने में रासायनिक खाद से पैदा होने वाले गेहूं से ज्यादा स्वादिष्ट होता है और जमीन भी उपजाऊ होती है।