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Rajsamand 300 करोड़ रुपए की योजना में जलदेवी माता मंदिर, हल्दीघाटी, कुंभलगढ़, शामिल किया जाएगा

 
Rajsamand 300 करोड़ रुपए की योजना में जलदेवी माता मंदिर, हल्दीघाटी, कुंभलगढ़, शामिल किया जाएगा
राजसमंद न्यूज़ डेस्क, राजसमंद  राज्य सरकार के अंतरिम बजट में राजसमंद जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन पर खास फोकस किया गया है। मेवाड़ के शूरवीर राजा महाराणा प्रताप के जन्म और युद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थल कुम्भलगढ़, हल्दीघाटी और दिवेर समेत कई जगहों को महाराणा प्रताप सर्किट योजना में शामिल किया जाएगा। इसके लिए बड़े बजट का ऐलान किया गया है।हालांकि इन पर्यटनस्थलों पर पिछले दो दशक में कई काम हुए हैं। मेवाड़ कॉम्पलेक्स के तहत इन जगहों का विकास हुआ। कुम्भलगढ़ को यूनेस्को की वल्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने के बाद भी विकसित किया गया, लेकिन अब तीनों जगहों पर पर्यटकों की सुविधाओं में और विस्तार करने का रास्ता बनता दिखाई दे रहा है। भाजपा सरकार ने पहले ही बजट में जिले के पर्यटन पर सबसे ज्यादा ध्यान देने के संकेत दिए हैं।

20 धार्मिक स्थलों में सांसेरा भी

प्रख्यात शक्तिपीठ सांसेरा स्थित जलदेवी माता मंदिर को प्रदेश के 20 धार्मिकस्थलों के विकास की करीब 300 करोड़ रुपए की योजना में शामिल होने से यहां के धार्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी होगी। बजट में जल देवी माता मंदिर विकास के लिए बजट घोषणा पर क्षेत्रवासियों में भी खुशी है। जलदेवी माता मंदिर प्राकृतिक सौन्दर्य से लकदक स्थल है। यह पर्यटकों व श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। यहां विकास कार्यों के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ. सी.पी. जोशी ने प्रयास कर 12 करोड़ रुपए का बजट मंजूर करवाया था, जिससे म्यूजियम का निर्माण प्रस्तावित था। हालांकि धरातल पर यह काम नहीं हुआ। चुनाव के साथ ही सरकार बदल गई और नई सरकार ने भी इसे अपनी धार्मिक पर्यटन विकास की योजना में शामिल किया है।इस मंदिर विकास के लिए कितना बजट मिलेगा और क्या-क्या काम होंगे, यह अभी साफ नहीं हुआ है, लेकिन पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आवागमन, ठहराव व अन्य सुविधाओं की योजना पर काम हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि सांसेरा में स्थित करीब 1300 बीघा भू-भाग में फैले तालाब के मध्य जलदेवी माता का मंदिर स्थित है। यहां की प्राकृतिक छटा दूर से ही देखते बनती है। यहां आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की आस लगाते हैं।

पूर्व में भी बनी थी योजना

पर्यटकस्थल के रूप में भी इसे विकसित करने की योजना तैयार की गई थी। पूर्व में यहां महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा के साथ स्मारक निर्माण प्रस्तावित था। पर्यटकों की पहुंच आसान बनाने के लिए 2 किलोमीटर की सडक़ का चौड़ाईकरण, तालाब की पाल पर ढाई किलोमीटर सुरक्षा दीवार निर्माण, दर्शनार्थियों के लिए पाथवे निर्माण, महाराणा प्रताप के स्मारक स्थल पर उद्यान विकसित करने, ओपन जिम स्थापित करने, बालकों के मनोरंजन के उपकरण स्थापित करने की योजना थी। म्यूजियम विकास के लिए यहां करीब 25 बीघा जमीन भी आरक्षित की गई है।