ढ़ाई साल बाद भी बेअसर सरकार का प्रतिबंध! इन चीजों का खुलेआम हो रहा उपयोग, यहां पढ़े पूरी रिपोर्ट

राजसमंद न्यूज़ डेस्क - ढ़ाई साल बाद भी बेअसर सरकार का प्रतिबंध, इन वस्तुओं का खुलेआम हो रहा उपयोग ढाई साल बाद भी जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक नहीं लग पा रही है, उपयोग कम होना तो दूर की बात है। आम जनता के जागरूक होने के बावजूद इसका उपयोग कम होने के बजाय दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके विक्रेताओं व उपयोगकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। शहरी क्षेत्र से प्रतिदिन पांच टन से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की आंख नहीं खुल रही है। भारत सरकार ने एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज या एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था। उक्त प्रतिबंध के ढाई साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। बाजारों में सिंगल यूज प्लास्टिक का खुलेआम व धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। विक्रेता भी इन्हें दुकानों के बाहर खुले में पर्दों व दुकान की तरह टांगकर बेच रहे हैं। प्लास्टिक के डिस्पोजेबल सामान आम जनता को आसानी से उपलब्ध होने के कारण सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। नालियां प्लास्टिक कचरे से अटी पड़ी हैं। इससे पर्यावरण के साथ ही स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसके बावजूद इसके उपयोग में कोई कमी नहीं आ रही है।
30 से अधिक डिस्पोजेबल दुकानें
300 किलो से अधिक पॉलीथिन का उपयोग
चाय के लिए 5 से 6 हजार पेपर कप का उपयोग
2000 से अधिक प्लास्टिक गिलास
करीब 2000 प्लास्टिक चम्मच
करीब 1500 से 2000 पेपर कटोरी
हर जगह इस्तेमाल
सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल हर जगह हो रहा है। गन्ने के जूस से लेकर चाय की दुकानों तक में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। फास्ट फूड खाने के लिए प्लास्टिक के चम्मच और स्टील की प्लेट की जगह थर्मोकोल प्लेट या दोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। शादियों में पीने के पानी के लिए प्लास्टिक के गिलास और चम्मच का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थिति यह है कि इस समय शहर से हर दिन पांच टन से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है, शादियों के सीजन में इसकी संख्या और बढ़ जाती है। गौरतलब है कि पेपर कप और कटोरी में प्लास्टिक की पतली परत होती है।
ट्रेंचिंग ग्राउंड में पॉलीथिन के ढेर
शहर से निकलने वाले कचरे को ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है। वहां प्लास्टिक से आरडीएफ बनाया जाता है, जबकि अन्य खाद्य पदार्थों, कपड़े और लकड़ी आदि के टुकड़ों से खाद बनाई जाती है। स्थिति यह है कि ट्रेंचिंग ग्राउंड में आरडीएफ के ढेर लगे हुए हैं। चूंकि इसका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता, इसलिए इसका उपयोग केवल सीमेंट फैक्ट्रियों में जलाने के लिए किया जाता है।
इनके उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए
चाय के लिए कागज के कप की जगह कांच के गिलास का उपयोग
पानी के लिए प्लास्टिक के गिलास की जगह स्टील के गिलास का उपयोग
डिस्पोजेबल प्लेट की जगह स्टील की प्लेट का उपयोग किया जाना चाहिए
पॉलीथिन की जगह कपड़े के थैले का उपयोग किया जाना चाहिए
लोगों को जागरूक कर रहे हैं, कार्रवाई करेंगे
सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हानिकारक है, इसके लिए आम जनता को जागरूक किया जा रहा है। पिछले दिनों राजनगर सब्जी मंडी में कपड़े के थैले बांटे गए। समझाइश के बावजूद इसे बेचने और उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।