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आखिर कब है Holika Dahan का शुभ मुहूर्त ? यहां एक क्लिक में जाने होलिका दहन की पूजा विधि और सामग्री

 
आखिर कब है Holika Dahan का शुभ मुहूर्त ? यहां एक क्लिक में जाने होलिका दहन की पूजा विधि और सामग्री 

राजसमंद न्यूज़ डेस्क - होलिका दहन 13 मार्च को फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। इस वर्ष होली का त्यौहार 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। होली से एक दिन पहले होलिका दहन का महत्व दोगुना हो जाता है। इस दिन होलिका दहन की अग्नि से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और जीवन में खुशियाँ आती हैं। होलिका दहन

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 13 मार्च को है, इस दिन शाम को होलिका दहन किया जाता है, लेकिन 13 मार्च को भद्रा शाम 06:57 बजे से शुरू होकर रात 10:22 बजे समाप्त होगी।
होलिका दहन के लिए करीब 1 घंटे का शुभ मुहूर्त है। होलिका दहन के लिए सबसे अच्छा समय 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक है।

होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन स्थल पर लकड़ियाँ, गोबर के उपले और अन्य जलाने वाली चीज़ें एकत्र की जाती हैं। इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर विधिवत पूजा करके होलिका को आग के हवाले कर दिया जाता है।
होली की रात होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं। होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन या सात परिक्रमा करनी चाहिए।
होलिका दहन के समय होलिका में नारियल, अनाज, उपले और पूजन सामग्री डालनी चाहिए।
होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात मालाएं बांधी जाती हैं। फिर कलश का जल होलिका के सामने अर्पित करें।

होलिका दहन कथा
प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के शत्रु थे। वे अपने पुत्र की भगवान विष्णु की भक्ति के सख्त खिलाफ थे। जब प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप की बात मानने से इनकार कर दिया तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन राक्षसी होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया। होलिका के पास भगवान ब्रह्मा द्वारा उपहार में दिया गया एक दिव्य शॉल था, ताकि वह आग से सुरक्षित रहे।
होलिका ने प्रह्लाद को एक बड़ी आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की असीम कृपा के कारण होलिका की जगह एक दिव्य दुपट्टे ने प्रह्लाद को आग से बचा लिया।
लोककथा के अनुसार, आग जलने के बाद प्रह्लाद भगवान विष्णु का नाम जपने लगा। जब भगवान विष्णु ने अपने प्रिय भक्त को परेशानी में देखा, तो उन्होंने हवा के झोंके से होलिका का दुपट्टा अपने भक्त प्रह्लाद पर उड़ाने का आदेश दिया। इस प्रकार, राक्षस होलिका विशाल आग में जलकर राख हो गई और भगवान विष्णु की कृपा और मायावी दुपट्टे के कारण प्रह्लाद को कोई नुकसान नहीं हुआ।