राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में प्रदेश में कौनसी जाति किसके साथ ?

राजस्थान इलेक्शन डेस्क, वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है, चुनाव को लगभग 100 दिन का समय शेष है। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में लग गई हैं, अब देखने वाली बात यह है कि इस बार चुनाव में कांटे की टक्कर होगी। राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे पास आ रहे हैं वैसे-वैसे प्रदेश में सियासी पारा चढ़ना शुरू हो गया है। राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी राजनैतिक पार्टियों ने धार्मिक और जातीय समीकरणों को बांधना शुरू कर दिया है। चुनावी माहौल में जहां एक और राजनैतिक पार्टियां पूरी तरह से एक्टिव मोड में आ गई है, तो वहीँ दूसरी और सभी उम्मीदवारों में भी टिकट की दावेदारी के लिए अपना जोहर दिखाना शुरू कर दिया है।
ज्यों-ज्यों राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, राजनैतिक पार्टियों ने अपने-अपने हिसाब से किलेबंदी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सभी राजनैतिक पार्टियों ने भी चुनावो बिसात बिछाने की शुरुवात कर दी है। अगर राजस्थान के अब तक के चुनावों की बात करें तो राजस्थान में किसी भी पार्टी को जीत के लिए धर्म और जाति फैक्टर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। शायद यही सबसे बड़ा कारण है की इस बार सभी पार्टियां उम्मीदवारों का चयन धर्म और जाति के आधार पर करने पर जोर दे रही है। प्रदेश में इन दोनों सियासी उबाल अपने चरम पर है, हालाँकि चुनाव आयोग ने अब तक राजस्थान चुनावों के लिए किसी भी तरह की आधिकारिक की घोषणा नहीं की है। लेकिन पिछले कुछ चुनावों की गणित के आधार पर ये कहा जा सकता है कि प्रदेश में अक्टूबर के महीने में आचार सहिंता और दिसम्बर महीने के आखिर तक चुनाव की घोषणा किये जाने की संभावना है।
प्रदेश में इन दिनों राजनैतिक और सियासी मौसम उबाल पर है, हालाँकि चुनाव आयोग ने अब तक राजस्थान चुनावों के लिए किसी भी तरह की आधिकारिक की घोषणा नहीं की है। हालाँकि, पिछले कुछ चुनावों की भूमिकाओं के आधार पर ये कहा जा सकता है कि प्रदेश में अक्टूबर के महीने में आचार सहिंता लगने और दिसम्बर महीने के आखिर तक चुनाव की घोषणा किये जाने की संभावना जताई जा रही है।
राजस्थान के अब तक के चुनावों के आधार पर प्रदेश की 200 विधानसभा क्षेत्रों में से 90-95 सीटें ऐसी है जहां पर जाति विशेष के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजनैतिक जानकारों की माने तो राजस्थान में हर बार सरकार बदलने के रिवाज के चलते मतदाताओं के वोटिंग करने की समीकरणों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। प्रदेश में कुल 89 फीसदी आबादी हिंदू और दो फीसदी अन्य धर्मों के है, इसमें अगड़े 19 फीसदी, पिछड़े 40 फीसदी, दलित 18 फीसदी और 14 फीसदी आदिवासी आते हैं। तो आईये आज हम आपको अगड़ों का समीकरण 2019 के लोकसभा चुनावों के आधार पर बताते हैं ..
राजस्थान में बिना जातीय समीकरणों के चुनाव जितना असंभव सा ही दिखता हैं, राजस्थान के मतदाताओं में एक सबसे बाद वर्ग अगड़ों का है जिनके पास प्रदेश के 19 फीसदी वोटर्स हैं। आगे अगड़ों की बात करें तो इनमें 7 फीसदी ब्राह्मण, 6 फीसदी राजपूत, 4 फीसदी वैश्य और 2 फीसदी अन्य वर्ग आते हैं। अगर लोकसभा के 2019 के चुनावों की बात करें तो प्रदेश की सामान्य और अन्य दोनों जनता ने भाजपा का साथ दिया था। लोकसभा चुनावों में BJP को सामान्य के 78 फीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 16 फीसदी मिले थे। वहीँ इसके दूसरी ओर लोकसभा चुनावों में अन्य ने भी भजपा का ही साथ दिया था। चुनावों में कांग्रेस को अन्य के 21 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा को 74 % मतदान हांसिल हुआ था। अब इन चुनावों में ये जातीय समीकरण किसके लिए कितने काम के होंगें ये तो चुनावों के परिणाम के साथ ही पता लगेगा।