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Rajasthan Assembly Election 2023: चुनाव से पहले राजस्थान में राजनीतिक दलों ने की जमीन तलाशनी शुरू, जननायक जनता पार्टी का 5 अगस्त को जयपुर में युवा सम्मेलन

 
Rajasthan Assembly Election 2023: चुनाव से पहले राजस्थान में राजनीतिक दलों ने की जमीन तलाशनी शुरू, जननायक जनता पार्टी का 5 अगस्त को जयपुर में युवा सम्मेलन

जयपुर न्यूज डेस्क। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में होने है, लेकिन राजनीतिक दलों ने राजनीतिक जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। ओवैसी के बाद ताऊ देवीलाल के प्रपोत्र दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी ने राजस्थान के जाटों को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिये आगामी 5 अगस्त को जयपुर में जननायक जनता पार्टी युवाओं का बड़ा सम्मेलन आयोजित कर चुनावी अभियान का आगाज करना  प्रस्तावित है। इसके लिये हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला राजस्थान के लगातर दौरे कर रहे हैं।

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हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपने छोटे भाई दिग्विजय को राजस्थान में सक्रिय कर अपनी पार्टी का संगठन खड़ा करना चाहते हैं। दिग्विजय राजस्थान से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज करना चाह रहे हैं। बताया जाता है कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावनाओं को भी मजबूती प्रदान करना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव में ओवैसी के बाद दुष्यंत सिंह चौटाला सीएम अशोक गहलोत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।  उल्लेखनीय है कि 9वीं लोकसभा चुनाव में चौधरी देवी लाल और लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के राजस्थान के सीकर संसदीय क्षेत्र में चुनाव मैदान में उतरने से यह सीट सबसे ज्यादा चर्चित रही थी।देवीलाल ने बलराम जाखड़ को 46 हजार 756 मतों से हराया था। देवीलाल राजस्थान के सीकर से ही चुनाव जीतकर उप प्रधानमंत्री बने थे। 

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दुष्यंत  के चौटाला के पिता अजय चौटाला की राजनीति की शुरुआत भी राजस्थान विधानसभा से ही हुई थी। अजय चौटाला दातारामगढ़ और नोहर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के विधायक रह चुके हैं। दातारामगढ़ में जनता पार्टी की टिकट से साल 1989 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद विधानसभा चुनाव में अगले 5 साल के लिए नोहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे।राजस्थान की राजनीति में सत्ता के लिए जाट और राजपूतों में संघर्ष होता रहा है। अन्य जातियों की सत्ता में भूमिका नगण्य रही। सत्ता पाने के लिए सभी राजनीतिक दल राजपूत और जाटों पर ही फोकस करते रहे हैं। जाट समुदाय कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है। कांग्रेस के वोट बैंक में भाजपा ने कई बार सेंध जरूर लगाई है, लेकिन जाट अब भी कांग्रेस का ही वोट बैंक माना जाता है। दुष्यंत चौटाला का फोकस  कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर है। कांग्रेस ने जाट को कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया। इसकों लेकर जाटों में नाराजगी है। जाट नेता और राजस्थान के पूर्व पुलिस महानिदेशक ज्ञानप्रकाश पिलानिया ने जाट सीएम की मांग को लेकर राजस्थान में मुहिम छेड़कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया था। राजस्थान में नागौर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, जोधपुर, जैसमेर, बाड़मेर, भरतपुर और जयपुर के कुछ हिस्सों में जाटों की बड़ी तादात है। इन जिलों में हार-जीत का फैसला जाट वोटर ही तय करते हैं। 

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जनता दल के दौर में देवीलाल की आंधी चली थी लेकिन पार्टी जब बंटी तो चौटाला खानदान सिमट गया।  जनता परिवार के विघटन के बाद चौधरी देवीलाल ने अपने आखरी दिनों में इंडियन नेशनल लोकदल बनाया। हरियाणा में उनकी पार्टी सत्ता में भी आई।  ओमप्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के सीएम भी रहे है। उन्होंने 2003 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में चार सीटें भी जीतीं, लेकिन चारों विधायक बाद में बीजेपी में चले गये।  उसके बाद चौटाला परिवार कभी चुनाव लड़ने राजस्थान नहीं आया। चौधरी देवीलाल का जन्म राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित गांव अमरपुरा जालू में हुआ था। इसी गांव में ही चौधरी देवीलाल ने तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई भी की थी, लेकिन उन्होंने राजस्थान से सटे हरियाणा के गांव चौटाला से ही अपनी पहचान कायम की है।