Jhalrapatan Assembly Elections 2023 जानिए BJP उम्मीदवार Vasundhara Raje Scindia के बारे में सब कुछ
अगर एक शब्द में श्रीमती वसुंधरा राजे के बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यो को बयां किया जाएं तो वह शब्द होगा – “सेवा”। उन्होने अपना सारा जीवन लोगों की, राष्ट्र की और गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया है। कई लोगों के लिए दूसरों की सेवा करना एक अलग कार्य होता है जिसके लिए वह लोगों के लिए समर्पण की भावना पैदा करते है और उसे आत्मसात् करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वसुंधरा राजे जी के लिए यह कोई कार्य नहीं है बल्कि उनका मानना है कि उनका जन्म ही लोगों और देश की सेवा करने के लिए हुआ है। श्रीमती वसुंधरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को बॉम्बे में हुआ था, जिसे वर्तमान में मुम्बई के नाम से जाना जाता है।
वसुंधरा राजे के माता – पिता अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से गिने जाते थे, जिन्होने भारतीय सार्वजनिक जीवन के लिए अमूल्य योगदान दिया। श्रीमती वसुंधरा राजे के पिता महाराजा जीवाजी राव सिंधिया, ग्वालियर के शासक थे। ग्वालियर, आजादी से पूर्व भारत के मध्य में स्थित सबसे भव्य राज्य हूआ करता था। उनकी माता, राजमाता विजयाराजे सिंधिया आजादी के पश्चात् एक महान नेता के रूप में उभरी, जिन्हे उनकी सादगी, उच्च विचारधारा और वैचारिक प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था, वह गरीब से गरीब जनता के प्रति बेहद समर्पित थी। 40 साल के राजनीतिक कार्यकाल के दौरान, उन्हे कुल 8 बार मध्यप्रदेश के गुना क्षेत्र से संसद का प्रतिनिधत्व चुना गया, जो कि एक रिकॉर्ड है। राजमाता सिंधिया को जनसंघ और भाजपा के कई दिग्गजों जैसे – अटल बिहारी बाजपेई और श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था।
वसुंधरा राजे एक ऐसे माहौल में पैदा हुई थी, जहां सेवा, देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही सबसे महत्वपूर्ण था। वह अपने माता – पिता, महाराज जीवाजी और विजायाराजे जी की चार संतानों में से तीसरे नम्बर की संतान थी। उनकी बड़ी बहन श्रीमती ऊषा राजे जी की शादी, नेपाल के सबसे प्रतिष्ठित परिवार में हुई, जो वर्तमान में वहीं है। उनके बड़े भाई स्वर्गीय श्री माधवराव सिंधिया, भारत के सफल नेताओं में से गिने जाते थे लेकिन 2001 में असामयिक घटना में उनका निधन हो गया था। वसुंधरा राजे की छोटी बहन श्रीमती यशोधरा राजे जी है, जो ग्वालियर से सांसद के रूप में भाजपा का प्रतिनिधित्व करती है।
शुरूआती दिनों से ही, वसुंधरा राजे के दूरदर्शी माता – पिता ने सुनिश्चित कर लिया था कि वह अपने बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देगें और उन्हे लोगों की सेवा में अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करेगें, ताकि वह बड़े होकर गरीबों की सेवा करें और राष्ट्र के हित में सदैव प्रयासरत रहें। वसुंधरा राजे जी ने अपनी स्कूली शिक्षा, कोडाईकनाल के प्रेजेन्टेशन कॉन्वेन्ट स्कूल से पूरी की। इसके पश्चात्, उन्होने मुम्बई विश्वविद्यालय के सोफिया कॉलेज से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में सम्मान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वसुंधरा राजे जी के राजस्थान राज्य के साथ मधुर सम्बंध उनकी शादी के बाद प्रगाढ़ हुए। उनका विवाह राजस्थान के धौलपुर में पूर्व शाही परिवार में हुआ था। धौलपुर, राजस्थान का पूर्वी भाग है। यह एक बंधन है जो आज तक मजबूती से बंधा है और दिनों – दिन अधिक मजबूत होता जा रहा है।
वसुंधरा राजे सिंधिया का जन्म (Vasundhara Raje Scindia Early Life)
वसुंधरा राजे सिंधिया का जन्म 8 मार्च, 1953 ई. को मुंबई में हुआ था। वसुंधरा राजे ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उनकी पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान हैं।
वसुंधरा राजे सिंधिया की शिक्षा (Vasundhara Raje Scindia Education)
वसुंधरा राजे ने प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल, से प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद सोफिया महाविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स और साइंस आनर्स से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। वसुंधरा राजे की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंतसिंह के साथ हुई थी। वसुंधरा राजे तब से ही राजस्थान से जुड़ गईं थी। वसुंधरा राजे अध्ययन, संगीत, घुड़सवारी, फ़ोटोग्राफ़ी और बागबानी की शौक़ीन हैं। विभिन्न प्रकार की महँगी साड़ियाँ पहनना और उच्च रहन-सहन वसुंधरा राजे का शौक़ है। यह रूतबा देख कर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्षविपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे।
वसुंधरा राजे सिंधिया का विवाह (Vasundhara Raje Scindia Marriage)
वसुंधरा राजे सिंधिया का विवाह 17 नवम्बर, 1972 को धौलपुर, राजस्थान के पूर्व महाराजा हेमन्त सिंह के साथ हुआ। तभी से श्रीमती राजे का राजस्थान से संबंध है, जो समय के साथ और व्यापक एवं प्रगाढ़ होता जा रहा है। आप एक पुत्र की माता है।
वसुंधरा राजे सिंधिया का राजनीतिक जीवन (Vasundhara Raje Scindia Political Career)
वसुंधरा राजे को सन् 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। वसुंधरा राजे की कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में वसुंधरा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर, 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रीमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्माल इंडस्ट्रीज, कार्मिक एंड ट्रेनिंग, पेंशन व पेंशनर्स कल्याण, न्यूक्लियर एनर्जी विभाग एवं स्पेस विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। वसुंधरा ने देश की राजनीति में अपनी क़ाबलियत से एक पहचान क़ायम कर ली। इसी बीच राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने से प्रदेश में किसी दमदार नेता का अभाव खटकने लगा। वसुंधरा के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए केंद्रीय पार्टी ने उन को राज्य इकाई का अध्यक्ष बना कर भेज दिया।वसुन्धरा राजे 12 सितम्बर, 2002 से 7 दिसम्बर, 2003 तक राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष रहीं। इस दौरान श्रीमती राजे ने परिवर्तन यात्रा के माध्यम से पूरे प्रदेश की सघन यात्रा की और विकास बाधाओं और जनसमस्याओं को निकटता से देखा-समझा। आप 12वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से निर्वाचित हुईं। वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये 2007-2008 के बजट में शिक्षा, रोज़गार, बालविवाह प्रथा पर रोक जैसे पाँच सूत्री कार्यक्रम बनाए थे।
- उन्होंने वर्ष 1984 में राजनीति में प्रवेश किया, जिसके चलते उन्हें भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रूप में नियुक्त किया गया।
- वर्ष 1985 में, वसुंधरा राजे को राजस्थान भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और उसी वर्ष उन्हें धोलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुना गया था।
- वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में, उन्हें वर्ष 1991 तक एक सांसद के रूप में चुना गया था।
- वर्ष 1991 के आम चुनाव में, उन्हें झालावार विधानसभा क्षेत्र से पुनः एक सांसद के रूप में चुना गया।
- वर्ष 1998 में, लोकसभा चुनाव में पार्टी से चुने जाने के बाद राजे को विदेश मामलों के राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
- वर्ष 1996 से वर्ष 1998 के बीच, वह झालावार विधानसभा क्षेत्र से एक सांसद रहे।
- वर्ष 1987 में, उन्हें राजस्थान राज्य की भारतीय जनता पार्टी के लिए उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
- वर्ष 1998 में, राजे पुनः एक ही निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुईं और वर्ष 1999 तक सांसद रहीं। जिसके चलते उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 1999 में, राजे पुनः एक सांसद के रूप में निर्वाचित हुईं और जिसके चलते उन्हें 5 वर्षों तक सेवा करने का कार्यभार सौंपा गया।
- वर्ष 2003 में, भाजपा ने उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया और इस पद पर वह वर्ष 2008 तक रहीं।
- वर्ष 2013 में, वह पुनः राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी।
वसुंधरा राजे सिंधिया के राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर
राजनैतिक कैरियर में संघर्ष और सफलता एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद वसुन्धरा जी का जीवन बहुत संघर्षमय बीता, लेकिन जीवन के हर संघर्ष का उन्होंने दृढ़ता से सामना किया। केवल आठ साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था, लेकिन मां श्रीमती विजयाराजे द्वारा दिए गए संस्कारों ने इन्हें सदैव संबल प्रदान किया। जनसेवा और राजनीति के माहौल में पली बढ़ी वसुन्धरा जी में परमार्थ सेवा के गुण स्वतः ही विकसित हुए। सन् 1960 से 1970 के दशक में इन्होंने कांग्रेस पार्टी के आम जनता पर अत्याचारों और अपनी मां द्वारा इनका विरोध देखा। यह वह समय था जब पूरा राष्ट्र सत्ता में बैठे लोगों की मनमानी का अखाड़ा बन गया था। इसी के चलते आपातकाल के दौरान राजमाता विजयाराजे को गिरफ्तार कर लिया गया। वसुन्धरा जी का राजनीति में पदार्पण सन् 1984 में हुआ, जब उन्होने नवगठित भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता ली। मात्र एक वर्ष बाद ही इन्हें राजस्थान भाजपा के युवा मोर्चे का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसी वर्ष वे धौलपुर से 8वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुई। इस जीत ने एक बार फिर से वसुन्धरा जी के जनसेवा और समर्पण का परिचय दिया। दरअसल यह वह समय था जब श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस और श्री राजीव गांधी को विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत प्राप्त हुआ था। लेकिन वसुन्धरा जी ने पूरे देश में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल की थी। इन्हीं सफलताओं के कारण सन् 1987 में उन्हें राजस्थान भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
वसुन्धरा राजे जी केंद्रीय मंत्री के रूप में मार्च 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए, जिसमें भाजपा को 182 सीटों के साथ ज़बरदस्त जनादेश मिला। श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। वही एक बार फिर से वसुन्धरा जी को झालावाड़ से चुना गया, लेकिन चुनाव में यह जीत पिछली जीत से कुछ अलग थी। मार्च 1998 में ये न केवल एक सांसद के रूप में निर्वाचित हुई, बल्कि इन्हें राज्य मंत्री के रूप में विदेश मंत्रालय का काम भी सौंपा गया। विदेश राज्य मंत्री के रूप में राजे जी ने विभिन्न देशों की यात्रा की और भारत के साथ उन देशों के संबंधों को और मजबूती प्रदान की। 11 और 13 मई 1998 को केंद्र की भाजपा सरकार ने वह कर दिखाया जो अभी तक किसी भी केंद्रीय सरकार ने नहीं किया था। दरअसल इस समय भारतीय प्रधानमंत्री ने देश की परमाणु क्षमताओं के परीक्षण का आदेश दिया था। अब भारत एक परमाणु शक्ति समपन्न देश था, लेकिन इस साहसिक कदम की विश्व समुदाय में अलग ढंग से प्रतिक्रिया हुई। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारतीय अनुदानों पर प्रतिबंध तक लगा दिए। ऐसे नाजुक समय में वसुन्धरा जी ने साहस के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भारतीय पक्ष रखा। इसी के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बहुत जल्द ही सारे प्रतिबंधों को वापस ले लिया। कई राजनैतिक उठा पटक के बाद अप्रेल 1999 में केवल 13 महीने के कार्यकाल के साथ वाजपेयी सरकार ने इस्तीफा दे दिया। देश में एक बार फिर से चुनाव हुए। राष्ट्र ने वापस भाजपा में विश्वास प्रकट किया और मंत्री परिषद ने फिर से वाजपेयी जी के साथ शपथ ली। पांच बार सांसद रह चुकी वसुन्धरा जी ने चुनाव झालावाड़ से जीता और उन्होंने राज्य मंत्री, (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली। जो जिम्मेदारियां उन्हें सौंपी गई थी, उनमें लघु उद्योग, कृषि एवं ग्रामीण उद्योग के साथ ही वसुन्धरा राजे जी को डी.ओ.पी.टी (पर्सनल एंड ट्रैनिंग) डिपार्ट्मेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर, वेलफेयर इन द मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवैन्सेज़ एंड पेंशनर डिपार्ट्मेंट ऑफ एटमिक एनर्जी एंड डिपार्ट्मेंट ऑफ स्पेस का अतिरिक्त भार भी सौंपा गया (प्रधानमंत्री के साथ)।
श्रीमती वसुन्धरा राजे जी ने वैश्विक आर्थिक वातावरण में लघु उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए व भारतीय लघु उद्योग क्षेत्र में मदद के लिए कई ठोस कदम उठाए। इनमें प्रमुख है एस.एम.ई के लिए ऋण बढ़ाने हेतु ऋण गारंटी योजना व क्रेडिट रेटिंग योजना। अतिरिक्त प्रभार के मंत्री के रूप में वसुन्धरा जी देश के अधिकारी तंत्र को नेतृत्व और दिशा प्रदान करने में भी शामिल थी। इसी समय राजग सरकार ने जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने हेतु एक बिल का मसौदा तैयार किया जो आगे चलकर सूचना के अधिकार अधिनियम का आधार बना। जिसमें वसुन्धरा राजे जी ने भी योगदान दिया। वसुन्धरा जी ने केंद्रीय मंत्री के रूप में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की, लेकिन यहीं इन उपलब्धियों का अंत नहीं होता। दरअसल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके लिए कई नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां तैयार कर रखी थी।
विपक्ष के नेता के रूप में राजस्थान चुनाव 2008 में भाजपा ने 200 सदस्य वाली राजस्थान राज्य विधानसभा में 78 सीटें हासिल की जो कि कांग्रेस पार्टी की 98 सीटों की विजय की तुलना में सिर्फ 18 कम थी। कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन सरकार का गठन किया और वसुन्धरा जी को विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया। लेकिन कुछ समय पश्चात् ही भारतीय जनता पार्टी के महासचिव के रूप में उन्हें कार्यभार सौंपा गया। जहां उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक मामलों का कार्यभार संभाला। मार्च 2013 में राजे जी को विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भाजपा पार्टी ने फिर से चुना। अंतरर्राष्ट्रीय दौरे स्विटज़रलैंड (27 से 31 जनवरी 2006) राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक आम बैठक के लिए स्विटज़रलैंड के दावोस की यात्रा की। अमेरिका (जून 2005) राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अमेरिका की यात्रा की। स्विटज़रलैंड (27 से 31 जनवरी 2005) राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक आम बैठक के लिए स्विटज़रलैंड के दावोस की यात्रा की। । सिंगापुर (जून 1998) राज्य मंत्री के रूप में सिंगापुर की यात्रा की। कोलंबिया (18 से 20 मई 1998) राज्य मंत्री के तौर पर मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। विदेश नीतियों और परमाणु परीक्षणों की प्रासंगिकता व प्राथमिकताओं पर भारतीय विचार व्यक्त करने के साथ ही कोलंबिया के राष्ट्रपति से मुलाकात की। मिस्र (9 से 10 मई) जी-15 की बैठक के लिए मिस्र का दौरा किया। मिस्र के विदेश मंत्री के साथ लघु उद्योग में सहयोग पर एमओडी व वार्ता।
राजस्थान की मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे ने चुनावों के मद्देनज़र प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा निकाली। वसुंधरा राजे इस यात्रा के ज़रिये वे आम जनता से मिलती थीं। ख़ासतौर से वसुंधरा राजे महिलाओं को लुभाने के लिये जिस इलाके में जातीं उसी इलाके की वेशभूषा पहन कर जाती थीं। नतीजा यह हुआ कि विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे भारी बहुमत के बल पर पार्टी को सत्ता में ले आईं। वे 1 दिसंबर, 2003 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। श्रीमती वसुन्धरा राजे को 8 दिसम्बर, 2003 से 10 दिसम्बर, 2008 तक राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के बतौर कार्य करने का गौरव मिला। इस दौरान आपने राजस्थान के समग्र विकास तथा विकास से वंचित लोगों के उत्थान के कार्यों को सर्वाधिक महत्त्व दिया। उनके इस कार्यकाल के दौरान ‘अक्षय कलेवा’, ‘मिड-डे-मील योजना’, ‘पन्नाधाय’, ‘भामाशाह योजना‘ एवं ‘हाडी रानी बटालियन’ तथा ‘महिला सशक्तीकरण’ जैसे कार्य उल्लेखनीय हैं। आप 13वीं राजस्थान विधान सभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से पुनः निर्वाचित हुईं। 2 जनवरी, 2009 से 25 फ़रवरी, 2010 तक वे राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं।
भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष
- वसुंधरा राजे ने 8 फ़रवरी, 2013 को दूसरी बार राजस्थान भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। आपने ‘सुराज संकल्प यात्रा’ के माध्यम से पूरे प्रदेश में लगभग 14 हज़ार किलोमीटर की यात्रा कर जनता से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उनकी कठिनाइयों और समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल की। वे 14वीं राजस्थान विधानसभा के लिए झालावाड़ के झालरापाटन क्षेत्र से फिर निर्वाचित हुई हैं।
- देश जब 62वाँ स्वाधीनता पर्व मना रहा था उस दौरान हमारे देश में लोकतंत्र की ऊँचाई एक बार फिर दिखी। ये प्रजातंत्र का ही करिश्मा है कि राजस्थान में सर्वोच्च पद पर आसीन रहीं वसुन्धरा राजे को आख़िरकार नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफ़ा देने के लिये तैयार होना पड़ा।
- लेकिन इस्तीफ़ा देने वाली ये वसुंधरा पाँच साल पहले वाली केंद्र से थोपी गयीं वसुंधरा नहीं थीं। अब वसुंधरा राजे के साथ विधायकों का बहुमत था और आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावज़ूद विधायक उनके साथ बने रहे। यानी ये कहा जा सकता है कि वसुंधरा अब एक कद्दावर नेता बन चुकी थीं और पार्टी के लिये उनसे पार पाना इतना आसान नहीं था। वसुंधरा चाहतीं तो पार्टी से बगावत करके अलग दल बनाने का हसीन ख्वाब देख सकती थीं
वसुंधरा राजे सिंधिया का पुन: मुख्यमंत्री बनना
वसुन्धरा राजे 9 दिसम्बर, 2013 को सर्व सम्मति से भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की नेता निर्वाचित हुईं। उन्होंने 13 दिसम्बर, 2013 को मुख्यमंत्री के रूप में राज्य शासन की दूसरी बार बागडोर संभाली है। श्रीमती राजे की परिकल्पना है कि राजस्थान समग्र रूप से विकसित एवं आधुनिक प्रदेश बने तथा देश में विकास की दृष्टि से प्रथम पंक्ति में अपना स्थान बनाए। उनका लक्ष्य राजस्थान का नव-निर्माण कर हर चेहरे पर मुस्कान लाना है। निःशक्त, निर्बल एवं निर्धन वर्गों को संबल प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है।
वसुंधरा राजे सिंधिया का विधायक कार्यकाल:
- 1985-90 सदस्य, 8वीं राजस्थान विधान सभा
- 2003-08 सदस्य, 12वीं राजस्थान विधान सभा में झालरापाटन से।
- 2008-13 सदस्य, 13वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से।
- 2013 सदस्य, 14वीं राजस्थान विधान सभा झालरापाटन से।
वसुंधरा राजे सिंधिया का सांसद कार्यकाल:
- 1989-91 : 9वीं लोक सभा सदस्या
- 1991-96 : 10वीं लोक सभा सदस्या
- 1996-98 : 11वीं लोक सभा सदस्या
- 1998-99 : 12वीं लोक सभा सदस्या
- 1999-03 : 13वीं लोक सभा सदस्या
वसुंधरा राजे सिंधिया का सम्पूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम (Vasundhara Raje Scindia Political Journey)
- 2018: वसुंधरा राजे ने झालरपाटन से जीत दर्ज की और फिर से विधायक चुनी गईं। लेकिन उनके नेतृत्व में राजस्थान भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। जिसके चलते वसुंधरा से मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन गई।
- 2013: उन्होंने फिर से झालरापाटन से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की मीनाक्षी चंद्रवत को हराया। फिर वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी।
- 2009: वसुंधरा राजे को राजस्थान विधान सभा के विपक्ष के नेता के रूप में निर्वाचित किया गया था।
- 2008: उन्होंने फिर से झालरापाटन विधानसभा से चुनाव जीता और राजस्थान विधानसभा के लिए चुनी गई। लेकिन कांग्रेस सरकार के खिलाफ विपक्ष में बैठी।
- 2003: उन्होंने झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और फिर से विधायक के रूप में चुनी गई। बाद में वे राजस्थान की मुख्यमंत्री बन गईं।
- 2002: वे उपाध्यक्ष, भाजपा, राजस्थान बन गई।
- 2001: बाद में वे केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), लघु उद्योग और कृषि और ग्रामीण उद्योग ; कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग; कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायतें और पेंशन मंत्रालय में पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग बन गई।
- 1999: कांग्रेस पार्टी के डॉ अबरार अहमद को पराजित करने के बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। बाद में वे केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), लघु उद्योग और कृषि और ग्रामीण उद्योग ; कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग; कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायतें और पेंशन मंत्रालय में पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग बन गई।
- 1998: 12 वीं लोक सभा की निर्वाचित सदस्य। उन्होंने कांग्रेस के भारत सिंह को हराया। केंद्रीय राज्य मंत्री, विदेश मंत्रालय बनी।
- 1997: वे 1997 से 1998 तक भाजपा संसदीय दल की संयुक्त सचिव रही।
- 1996: उन्होंने फिर से कांग्रेस उम्मीदवार मान सिंह को पराजित किया और से संसद सदस्य के रूप में चुनी गई। वे सदस्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति, पर्यावरण और वन बनी। साथ ही सदस्य, सलाहकार समितियां, ऊर्जा मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पर्यटन भी बनी।
- 1991: कांग्रेस के मान सिंह को पराजित करने के बाद वे 10 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुनी गई। वे सदस्य, सलाहकार समिति, ऊर्जा मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और पर्यटन मंत्रालय बन गई।
- 1989: उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और झालवार सीट से जीत हासिल की। उन्होंने आईएनसी के शिव नारायण को हराया।
- 1987: उन्हें भाजपा, राजस्थान का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
- 1985: उन्होंने सफलतापूर्वक राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और ढोलपुर से विधायक बनी। पार्टी के मोर्चे पर, वे राजस्थान के युवा मोर्चा बीजेपी की उपाध्यक्ष बनी।
- 1984: यशोधरा राजे सिंधिया ने राजनीति में प्रवेश किया। वे सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी, भारतीय जनता पार्टी बन गईं।
वसुंधरा राजे सिंधिया नेट वर्थ (Vasundhara Raje Scindia Net Worth)
एक वेबसाइट के अनुसार वसुंधरा राजे सिंधिया की सम्पत्ति 4 करोड़ रूपए के करीब हो सकती है. साल 2018 के चुनाव में दाखिल किए गए नामांकन के अनुसार वसुंधरा राजे के पास 3,179 ग्राम सोना और 15 किलो चांदी है जबकि 1 लाख 29 हजार 830 रुपये नकद हैं. जयपुर के इंदिरा गांधी नगर में 3530 वर्गफुट का प्लॉट है. वसुंधरा के पास अभी कोई मकान नहीं है, कोई कार नहीं है. उनके पास 5 साल पहले खेती की जमीन थी, जो अब नहीं है.
वसुंधरा राजे सिंधिया से जुड़े विवाद (Vasundhara Raje Scindia Controversies)
- वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वसुंधरा और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बीच काफी कहासुनी हुई। इसमें जसवंत सिंह बाड़मेर के लोसकभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन वसुंधरा ने उनकी जगह कांग्रेस से आए कर्नल सोनाराम को टिकट दिलवा दी। जिसके परिणामस्वरूप जसवंत सिंह ने बीजेपी पार्टी छोड़ने का फैसला किया।
- वसुंधरा राजे, ललित मोदी की मदद करने के आरोपों में भी घिरी रहीं। वसुंधरा का ललित मोदी के वीजा संबंधी आवेदन पर हस्ताक्षर करना और उनके बेटे दुष्यंत सिंह के द्वारा ललित मोदी के साथ फर्जी कम्पनी के साथ मिलकर करोड़ो रुपयों का गबन करना भी विवादों में रहा। अगस्त 2011 में, वसुंधरा ने ललित मोदी के वीजा संबंधी दस्तावेजों पर सहमति जताई थी और ब्रिटिश अधिकारियों के सामने एक शर्त भी रखी थी कि इस बारे में भारत में किसी को कुछ पता नहीं चलना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक जब इन दस्तावेजों का खुलासा किया गया, तो वसुंधरा की मुश्किलें बढ़ती चली गईं। कांग्रेस द्वारा लगातार उनके इस्तीफे की मांग की जाने लगी। हालांकि, पार्टी द्वारा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।
- राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर ललित मोदी के साथ विवादों में रहीं। उन पर आरोप था कि चम्बल के बीहड़ में बना धौलपुर का महल सरकारी संपत्ति है। जिसे वसुंधरा और ललित मोदी ने मिलकर, एक निजी लग्जरी होटल में बदल दिया है। जिसे धौलपुर में "राज निवास पैलेस" के रूप में जाना जाता है। वसुंधरा द्वारा ललित के साथ राजस्थान की एक फर्जी कम्पनी के साथ मिलकर धौलपुर पैलेस पर अवैध कब्जा किया गया था। जिसके चलते उनके पति हेमंत सिंह ने एक अदालत के समक्ष स्वीकार किया कि यह पैलेस राजस्थान सरकार की संपत्ति है। जिसमें ललित मोदी की फर्जी कम्पनी नियंत हेरिटेज होटल्स ने इस संपत्ति को एक होटल में बदल दिया, जिसमें सौ करोड़ भारतीय रुपए का निवेश किया गया था।
- वर्ष 2013, अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीद घोटाले में वसुंधरा राजे संलिप्त पाई गई। जिसके चलते उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
- वसुंधरा राजे ने 28 नवम्बर 2016 में, डायरेक्टर ऑफ़ सिविल एविएशन का एक टेंडर जारी किया। जिसमें उन्होंने एक मिड साइज एयर क्राफ़्ट की मांग की। जिसकी फ्लाइंग रेंज की सीमा दी गई थी। जो सीधे यूरोप तक उड़न भर सके। आमतौर पर ऐसे विमान का इस्तेमाल प्रधानमंत्री भारत यात्रा के दौरान करते हैं। अपनी इस मांग के कारण वह विवादों में रहीं।
- वसुंधरा राजे सिंधिया, उषा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और ज्योतिरादित्यनाथ सिंधिया के बीच एक संपत्ति विवाद कोर्ट में लंबित है।
- फिल्म पद्मावत को राजस्थान में प्रतिबंधित करने के लिए भी वह विवादों में रहीं।
वसुंधरा राजे से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ (Interesting Facts About Vasundhara Raje Scindia)
- क्या वसुंधरा राजे धूम्रपान करती हैं ? ज्ञात नहीं
- क्या वसुंधरा राजे शराब पीती हैं ? हाँ
- वसुंधरा राजे एक शाही परिवार से संबंधित हैं, उनके पिता स्वर्गीय जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर के महाराजा थे।
- शाही वातावरण के कारण वह सार्वजनिक सेवा और राजनीति से काफी परिचित हो गई थीं। जो वह हमेशा से ही चाहती थीं।
- वर्ष 1985 में, उन्हें राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चे के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया, जिस पर उन्होंने वर्ष 1987 तक कार्य किया।
- वर्ष 2003 के बाद, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राजस्थान विंग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
- वसुंधरा राजे दिसंबर 2003 में राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
- वर्ष 2008 में सरकार के भंग होने पर, भाजपा ने उन्हें राजस्थान विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया।
- 2008 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद, उन्होंने एक मेकओवर किया और 2013 के विधानसभा चुनावों के लिए कैडर को प्रेरित किया।उन्होंने 105-दिवसीय यात्रा भी की, जहाँ उन्होंने 13,000 किमी से अधिक की दूरी तय की।
- वर्ष 2007 में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वयं-सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं की सहायता के प्रयास के लिए उन्हें “Women Together Award” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वह दिसंबर 2013 में फिर से राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने माताओं के लिए मध्याह्न भोजन कार्यक्रम, बीमा योजनाएं, छात्राओं के लिए परिवहन वाउचर और श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शुरू किया।
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