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राजस्थान का वो अनोखा गणेश मंदिर जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने पूरी होती है हर मनोकामना, मान्यता जान रह जायेगें हैरान

 
राजस्थान का वो अनोखा गणेश मंदिर जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने पूरी होती है हर मनोकामना, मान्यता जान रह जायेगें हैरान
राजस्थान न्यूज़ डेस्क, गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर भक्तों का शहर के सभी गणेश मंदिरों में ताता लगा हुआ है, ऐसा ही एक गणेश मंदिर जिसे नहर के गणेश जी के रूप में जाना जाता है यह मंदिर तकरीबन 250 साल पुराना है यह मंदिर नाहरगढ़ पहाड़ी के तलहटी में बसा हुआ है. पहाड़ी की तलहटी में बसे होने के कारण ही यह मन्दिर का नहर के गणेश जी के नाम से प्रसिद्ध हो गया. यहां पर दाहिनी सूंड वाले दक्षिणमुखी भगवान गणेश विराजे हैं. इस मंदिर में उल्टा  स्वास्तिक बनाने की भी बड़ी मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि उल्टा स्वास्तिक बनाने से लोगों के सारे बिगड़े काम बनने शुरू हो जाता है. हालांकि मंदिर प्रशासन ने कभी उल्टा स्वास्तिक नहीं बनाया. यहां ऐसा करने से कई भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हुई, जिसके बाद से यहां आने वाले भक्तों ने उल्टा स्वास्तिक बनाना शुरू किया. इस मंदिर की खास बात यह है कि नहर के गणेश जी को पारंपरिक राजशाही की पोशाक धारण कराई जाती है.

नहर गणेश जी मंदिर में अनोखा परम्परा

यहां विराजमान गणपति के बारे में कहां जाता है कि यहां दाहिनी तरफ सूंड और दक्षिणा विमुख भगवान गणेश पूजे जाते हैं. इस तरह प्रतिमा तंत्र विधान के लिए होती है. रत्न और गोटा-पत्ती जड़ी इस पोशाक का वजन 20 किलो है।यह पोशाक विशेष कारीगरों द्वारा बनाई जाती है. पुराने समय से ही जरी की पोशाक को जयपुरी शान माना जाता है। साथ ही गणेश जी का विशेष रूप से सिंगार किया जाता हैं इस मन्दिर में हर बुधवार को भक्तिगणों की खूब भीड़ लगती हैं.

गणेश चतुर्थी पर मंदिर में होगी विशेष पूजा

हर वर्ष की तरह यहां गणेश चतुर्थी बड़ी धूमधाम से जाती हैं यहां मंदिर में सुबह से ही पूजा के कार्यक्रम शुरू होगों अलग-अलग समय और मूहर्त के हिसाब से भगवान गणपति के विशेष पूजा की जाएगी. भक्तों की भीड़ को देखते हुए यहां मंदिर प्रशासन ने सभी व्यवस्थाएं की हैं. क्योंकि इस मंदिर की पहाड़ी पर ही भगवान गढ़ गणेश जी भी विराजमान हैं इसलिए भक्तिगण एक ही स्थान पर दो मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं.