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राजस्‍थान के इस शहर में बनती हैं भगवान गणेश की खास मूर्तियां, जयपुर से लेकर दिल्‍ली तक हर कोई है दीवाना

 
राजस्‍थान के इस शहर में बनती हैं भगवान गणेश की खास मूर्तियां, जयपुर से लेकर दिल्‍ली तक हर कोई है दीवाना 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क, गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल 19 सितंबर को मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी के नजदीक आते ही शहर में गणेश प्रतिमाओं को रंग रूप देकर निखारने का काम शुरू हो गया है. साथ ही बाहर जाने वाली मूर्तियां को भेजा जा रहा है. मूर्तिकार रामकिशोर ने कहा कि अलवर में मिट्टी से निर्मित गणेश जी की प्रतिमाएं यहां से दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, अजमेर सहित अन्य जगहों पर जाती है. रामकिशोर ने बताया कि उनका पूरा परिवार मूर्ति बनाने का ही कार्य करता है. उनके यहां करीब 5 फीट तक की मूर्तियां मिलती है. रामकिशोर का कहना है कि अगर कोई डिज़ाइन देखकर भी मूर्तियां तैयार करना चाहता है तो वह 2 महीने पहले डिजाइन बता कर मूर्तियां बनवा सकता है. अलवर शहर के मेहताब सिंह का नोहरा में गणेश जी की प्रतिमा बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि उनका यह काम पीढ़ी दर पीढ़ी चल आ रहा है. पहले उनके पिताजी ने इस काम की शुरुआत की. लेकिन आज उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए रामकिशोर व उनके बेटों ने इस काम की बागडोर अपने हाथों में ले ली. रामकिशोर ने आगे कहा कि उनके पिताजी के समय मिट्टी के कुल्हड़, घड़ियां बनाए जाते थे. आज उन्होंने नई टेक्नोलॉजी के साथ गणेश प्रतिमा के साथ-साथ अन्य कई आइटम भी बनाने शुरू कर दिए हैं.

हर शुभ काम में सबसे पहले गणेश जी होते हैं स्थापित

रामकिशोर ने बताया कि किसी भी अच्छे काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की प्रतिमा को घर के द्वार पर बैठाया जाता है. विसर्जन के लिए जो गणेश प्रतिमा जाती है वह मिट्टी से तैयार की जाती है. जिससे विसर्जन के बाद भी कोई समस्या उत्पन्न ना हो. अलवर शहर के अभय समाज में सबसे बड़ा आयोजन गणेश महोत्सव को लेकर किया जाता है. जिसमें इनके यहीं से ही मूर्ति लेकर आई जाती है, जो करीब 4 फीट की होती है. रामकिशोर ने बताया कि यहां तैयार हुई मूर्तियां जयपुर, जोधपुर, बादशाहपुर, दिल्ली, रेवाड़ी, खैरथल, अजमेर सहित अन्य जगहों पर जाती है.

5 महीने पहले शुरू होता है काम

गणेश प्रतिमा बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि गणेश चतुर्थी के लिए मूर्ति बनाने का कार्य करीब 5 महीने पहले शुरू कर दिया जाता है. इसमें छोटी से लेकर बड़ी मूर्तियां बनाई जाती हैं. रामकिशोर ने बताया कि गणेश चतुर्थी को लेकर हमारे यहां करीब 10 हजार से ज्यादा मूर्तियां तैयार की जाती हैं. जो गणेश चतुर्थी से पहले ही खत्म हो जाती हैं. रामकिशोर ने बताया कि हमारे यहां डिजाइन देकर भी मूर्तियां तैयार की जाती हैं. लेकिन इसके लिए व्यक्ति को करीब 2 महीने पहले उसका डिजाइन हमें देना पड़ता है. इसके बाद हम उसे तैयार कर दो महीने में सौंप देते हैं. रामकिशोर ने बताया कि अगर किसी मूर्ति की ज्यादा डिमांड रहती है तो पहले उसका सांचा तैयार किया जाता है. इसके बाद मूर्तियां उसे सांचे में तैयार होती हैं. यदि कम मूर्तियां हो तो उन्हें हाथों द्वारा ही तैयार किया जाता है. रामकिशोर के यहां 4 इंच की मूर्ति से लेकर करीब 5 फीट तक की गणेश प्रतिमा की मूर्तियां बनाई जाती हैं. यह सभी मूर्तियां इनके परिवारजनों द्वारा ही बनाई जाती है. जिसमें दो बेटे – बहु, एक बेटी वह खुद इन मूर्तियों को तैयार करते हैं. साथ ही रंग पेंट का काम भी इन्हीं द्वारा ही किया जाता है. मूर्तियों की कीमत के बारे में रामकिशोर का कहना है कि 70 रुपये से लेकर करीब 7 हजार रुपये तक की मूर्तियां हमारे यहां उपलब्ध रहती है.