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राजस्थान का मशहूर 1100 साल पुराना सास-बहु का मंदिर, 100 भुजाओं वाली मूर्ति देख रह जाएंगे दंग

 
राजस्थान का मशहूर 1100 साल पुराना सास-बहु का मंदिर, 100 भुजाओं वाली मूर्ति देख रह जाएंगे दंग
राजस्थान न्यूज़ डेस्क, मेवाड़ का अपना गौरवमय इतिहास रहा है. लेकिन आज हम आप को एक ऐसे मन्दिर के बारे में बताने जा रहे है जो खास तौर पर सास और बहु को समर्पित है. दरअसल 11वीं शताब्दी में इस खास मन्दिर को भगवान विष्णु और शिव को समर्पित करते हुए बनाया गया था. लेकिन इसका नाम सहस्त्रबाहु रखा जाना था. लेकिन यहां सास और बहू के दो अलग अलग मन्दिर बनाए गए जिसके बाद इस मंदिर की पहचान सास-बहू के नाम से हो गई. इस मंदिर की कला और नक्काशी ऐसी है कि देखने वाला बस देखता ही रहता है.

तकरीबन 1100 साल पुराना है यह मंदिर

इस मंदिर का निर्माण 1100 साल पहले कच्‍छपघात राजवंश के राजा महिपाल और रत्‍नपाल ने करवाया था. बड़ा मंदिर मां के लिए और छोटा मंदिर अपनी रानी के लिए बनवाया था. तब से ही ये मंदिर सास-बहू के नाम से मशहूर हो गया था. इस मंदिर में भगवान विष्‍णु की 32 मीटर ऊंची और 22 मीटर चौड़ी सौ भुजाओं वाली मूर्ति लगी हुई है, जिसकी वजह से इस मंदिर को सहस्‍त्रबाहू मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर उदयपुर से 23 किलोमीटर दूर नागदा गांव में बना हुआ है. इस मंदिर की दिवारों पर आप रामायण काल की अनेक घटनाओं को देख सकते है. मंदिर के एक मंच पर ब्रह्मा, शिव और विष्णु की छवियां बनाई गई हैं, जबकि दूसरे मंच पर भगवान राम, बलराम और परशुराम के चित्र खुदे गए हैं. इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगुनू बताते हैं कि ऐसा कोई भी मंदिर नहीं जो सास और बहू के लिए बनाया गया था. लेकिन उस समय यहां कच्छवाहा वंश के राजा महिपाल का शासन था. उनकी पत्नी भगवान विष्णु की भक्त थी, तो उनके पूजा-अर्चना के लिए महिपाल ने भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया जिसका नाम सहस्‍त्रबाहू रखा. कुछ सालों बाद रानी के पुत्र का विवाह हुआ और उनकी बहू भगवान शिव को पूजती थीं. तो राजा ने अपनी बहू के लिए उसी मंदिर के पास भगवान शिव का मंदिर बनवाया. जिसके बाद दोनों मंदिरों को सहस्‍त्रबाहू कहा जाने लगा.