Aapka Rajasthan

Rajasthan Diwas 2023: राजस्थान स्थापना दिवस 2023 पर जानिए इसके इतिहास जुड़े कुछ अनकहे रहस्य

Rajasthan Foundation Day 2023: इस राजस्थान दिवस 2023 पर जानिए की कैसे इधर उधर बिखरी राजपूताने कि 22 रियासतों को मिला कर राजस्थान बनाने से जुड़े कुछ रहस्य। विभिन्न रियासतों और ठिकानों से मिलकर राजस्थान के स्वरूप में आया राजपूताना का इतिहास (History) बेहद समृद्ध और गौरवशाली है। राजस्थान दिवस के दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान (Sacrifice) को नमन किया जाता है। 
 
Rajasthan Foundation Day 2023: इस राजस्थान दिवस 2022 पर जानिए की कैसे इधर उधर बिखरी राजपूताने कि 22 रियासतों को मिला कर राजस्थान बनाने से जुड़े कुछ रहस्य। विभिन्न रियासतों और ठिकानों से मिलकर राजस्थान के स्वरूप में आया राजपूताना का इतिहास (History) बेहद समृद्ध और गौरवशाली है। राजस्थान दिवस के दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान (Sacrifice) को नमन किया जाता है। 

राजस्थान दर्शन डेस्क, राजस्थान दिवस अथवा राजस्थान स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

राजस्थान की स्थापना 

राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आज़ाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्यवाही शुरू की, तभी लग गया था कि आज़ाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी, उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति के नजरिये से देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी।

Rajasthan Diwas 2022: राजस्थान स्थापना दिवस 2022 पर जानिए इसके इतिहास जुड़े कुछ अनकहे रहस्य

राजस्थान दिवस समारोह

इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था। इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बड़ा ही दूभर लग रहा था क्योंकि इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता के रूप में देख रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए। करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरूप का निर्माण हो सका।

Rajasthan Diwas 2022: राजस्थान स्थापना दिवस 2022 पर जानिए इसके इतिहास जुड़े कुछ अनकहे रहस्य

सात चरणों में बना राजस्थान 

  1. 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी। 
  2. 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय होकर राजस्थान संघ बना। 
  3. 18 अप्रॅल, 1948 को उदयपुर रियासत का विलय। नया नाम 'संयुक्त राजस्थान संघ' रखा गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह राजप्रमुख बने। 
  4. 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है। 
  5. 15 अप्रैल, 1949 को 'मत्स्य संघ' का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय हो गया। 
  6. 26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया। 
  7. 1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ। 

Rajasthan Diwas 2022: राजस्थान स्थापना दिवस 2022 पर जानिए इसके इतिहास जुड़े कुछ अनकहे रहस्य

गौरवशाली इतिहास 

इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग ने लिखा था, 'दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान कहा जा सकता है।' वीर तो वीर, वीरांगनाएं भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में नहीं झिझकीं। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया। राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। यहां धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया। कहा जाता है कि ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने तो हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। राणा सांगा ने सौ से भी ज्यादा युद्ध लड़कर साहस का परिचय दिया था। पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा (पाली) के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं।

Rajasthan Diwas 2022: राजस्थान स्थापना दिवस 2022 पर जानिए इसके इतिहास जुड़े कुछ अनकहे रहस्य