Ganesh Chaturthi 2023: जयपुर के प्रथम पूज्य मोती डूंगरी गणेश को मंडी लगा कर हुआ गणेश चतुर्थी का आगाज, मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

सिंजारा महोत्सव मनाया गया
महंत परिवार के पारंपरिक श्रृंगार में नोलड़ी का नोलखा हार का भाव था. इसमें मोती, सोना, पन्ना माणक के भाव स्वरूप दर्शाए गए हैं. इसके बनाने में करीब तीन माह लगे. सिंजारे पर भगवान को चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया. विशेष पोशाक धारण कराई गई। प्रथम पूज्य को मेहंदी लगाई. इसके बाद भक्तों को 3100 किलो मेहंदी प्रसाद के रूप में वितरित की.
भगवान गणेश पांच बार पोशाक बदलेंगे
पांच जगहों से मेहंदी वितरण की. मेंहदी लेने के लिए हर उम्र के लोग उमड़ पड़े. कल सुबह मंगला झांकी चार बजे से भक्तों को दर्शन होंगे. महंत शर्मा ने बताया कि भक्तों के आने के लिए पांच और निकास के लिए छह लाइन रहेगी. इसके साथ ही नवाचार के तौर आनलाइन भक्त भगवान गणेश के एक क्लिक पर दर्शन कर सकेंगें. मंदिर के बाहर भी 200 से अधिक स्कैनर लगाए गए हैं. भगवान पांच बार पोशाक बदलेंगे. पोशाक में आरी-तारी से लेकर जरदोजी का विशेष काम करवाया है. दर्शन व्यवस्था के लिए पुरुष, महिला की अलग लाइन है. एमडी रोड, जेएलएन मार्ग, तख्तेशाही रोड मार्ग पर की है. नि:शक्तजन के लिए अलग से रिक्शे लगाए हैं. गणेश चतुर्थी के पर्व से एक दिन पहले सिंजारा महोत्सव मनाया जाता है. सिंजारा या सिंधारा तीज पर लड़की के मायके से ससुराल वालों को सिंजारा (सिंधारा) भेजा जाता है, जिसमें तीज की पूरी थाल होती है. इस थाल या परात में तीज पर लड़की और लड़की की ससुराल वालों की महिलाओं के लिए साड़ी, गहने, मिठाई, मेवे और श्रृंगार का पूरा सामान होता है. जिसके जरिए मायके वाले लड़की को अपना प्यार और शुभकामनाएं भेजते हैं.