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Sheetala Ashtami 2024 पर करें इन चीजों का दान, जीवन में नहीं आएगा कोई संकट, होगा हर काम सफल

 
Sheetala Ashtami 2024 पर करें इन चीजों का दान, जीवन में नहीं आएगा कोई संकट, होगा हर काम सफल 

जयपुर दर्शन डेस्क, हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी पर्व के मौके पर कई लोग दान करते हैं. जिससे मां शीतला की कृपा प्राप्त कर सकें और उनके आशीर्वाद से उनके परिवार को सुरक्षित रख सकें. शीतला अष्टमी पर्व पर दान करने का एक अलग ही महत्व है. शीतला अष्टमी पर्व पर सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर शीतल जल से ही लोगों को स्नान करना होता है. ऐसा करने से शरीर में शीतलता आती है और साथ ही मां शीतला भी प्रसन्न होती हैं. मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी के दिन माता शीतला को ठंडा भोजन यानी एक दिन पहले का बने भोजन का भोग लगाया जाता है और उसी भोजन को ग्रहण किया जाता है. माता शीतला के भोग में मीठे पूए, दही और चावल अवश्य रखें क्योंकि इनके बिना मां शीतला का भोग अधूरा माना जाता है. शीतला अष्टमी के दिन अपने घर में झाडू और सूप जरूर लेकर आएं और इनकी पूजा अवश्य करें. इसके अलावा मां शीतला की पूजा करने के बाद हल्दी को अपने घर के सभी बच्चों के माथे पर लगाएं. इससे बच्चों को रोगों से छुटकारा मिलता है.

शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल को रात 09 बजकर 09 मिनट से शुरू होगी और अष्टमी तिथि 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का पर्व 02 अप्रैल को मनाया जाएगा. शीतला अष्टमी के मौके पर दान करने का बहुत महत्व होता है. इसलिए आप शीतला अष्टमी के दिन मां को प्रसन्न करने के लिए इन खास चीजों का दान कर सकते हैं. इससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी और घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी. इसके जीवन में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी.

इन चीजों का करें दान

शीतला अष्टमी के दिन भूखे और गरीबों को भोजन का दान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है. इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं रहती है.
शीतला अष्टमी पर्व पर पानी और मिठाई के दान से लोगों के जीवन में चल रहे क्लेश खत्म हो जाते हैं.
इस दिन किसी भी मंदिर में झाडू और सूप का दान भी अवश्य करें. शीतला माता जल्दी ही प्रसन्न हो जाती हैं.
शीतला अष्टमी के दिन कुम्हारन को प्रसाद के रूप में कुछ न कुछ अवश्य देना दें और साथ ही दक्षिणा भी दें. ऐसा माना जाता है कि जब तक कुम्हारन कुछ नहीं खाती है तब तक शीतला माता की पूजा सफल नहीं होती है.

शीतला अष्टमी का महत्व

स्कंद पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि को रोगमुक्त और स्वच्छ रखने का कार्य शीतला माता को दिया हुआ है. इसलिए इन्हें स्वच्छता की देवी के रूप में भी पूजा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में शीतला अष्टमी के सन्दर्भ में कुछ प्रभावशाली उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति क विशेष लाभ मिलता है और भक्तों से माता शीतला प्रसन्न होती हैं. शीतला अष्टमी के दिन पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और ध्यान रखें कि जल शीतल हो. इस उपाय के पीछे अध्यात्मिक व वैज्ञानिक दोनों कारण हैं. शीतल जल ग्रीष्म ऋतू का संकेत है और इससे मनुष्य का शरीर कई प्रकार के रोग से दूर रहता है.