Jaipur की 60 साल पुरानी दुकान पर आज भी मिलती है हींग कचौड़ी, स्वाद इतना लाजवाब की लोग खींचे चले आते
पूरनजी कचौरी वाले की दुकान की शुरुआत 1963 में पूरन पोसवाल ने की थी। उस समय चारदीवारी वाले बाज़ारों की नई बस्तियाँ शुरू हो गई थीं। उनकी हींग कचौरी के लाजवाब स्वाद की महक धीरे-धीरे चौड़ी सड़क से होते हुए पूरे शहर में फैलने लगी और लोगों की भीड़ यहां जमा होने लगी. कुछ ही समय में यह गली हींग की कचौड़ी वाली गली के नाम से मशहूर हो गई। पूरण जी के बाद इस दुकान को उनके बेटे कैलाश पोसवाल ने संभाला और इस कचौरी के कारोबार को आगे बढ़ाया और अब उनके पोते गोविंद पोसवाल इसे संभाल रहे हैं।
यहां की हींग कचौरी में क्या है खास
पूरनजी कचौरी वाले की दुकान में हींग और कुछ खास मसालों के साथ मिश्रित दाल से बनी एक खास रेसिपी से कचौरी का मसाला तैयार किया जाता है और फिर इसे तेल में तला जाता है. इस कचौरी को तीखी और मीठी चटनी के साथ खाया जाता है. यहां खाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है. इसके साथ ही लोग पैक करके भी ले जाते हैं। इस दुकान पर कचौरी 16 रुपये में दी जाती है. पुरंजी कचौरी वाले की दुकान पर 3 तरह की कचौरियां बनाई जाती हैं. इनमें से सबसे मशहूर है हींग कचौरी. इसके अलावा यहां प्याज और मसालों की खास कचौरियां भी बनाई जाती हैं. इनकी सूखी मसाला कचौरी की खासियत यह है कि ये 20-25 दिन तक खराब नहीं होती हैं.
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