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Pratapgarh 4 साल बाद होगी वन्यजीव गणना, वन में 139 वाटर होल किए गए चिह्नित

 
Pratapgarh 4 साल बाद होगी वन्यजीव गणना, वन में 139 वाटर होल किए गए चिह्नित
प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, प्रतापगढ़ वन विभाग की ओर से जंगल में वन्यजीवों की गणना इस बार चार वर्ष बाद होगी। इसके लिए विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही है। इसके साथ ही कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिए जा रहे है। उपवन संरक्षक हरिकिशन सारस्वत ने बताया कि गत वर्षों में मौसम प्रतिकूल रहने के कारण वन्यजीव गणना नहीं हो सकी। ऐसे में इस वर्ष वन विभाग की ओर से वैशाख पूर्णिमा पर 23 मई को सुबह 8 बजे वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना शुरू होगी। जो 24 मई सुबह 8 बजे तक चलेगी। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत गणना सटीक हो और निर्बाध तरीके से इसे संपन्न किया जा सके, इसके लिए पूरी गाइड लाइन जारी कर दी गई है। प्रतापगढ़ जिले के वन विभाग और सीतामाता अभयारण्य में 139 वाटर होल पर गणना की जाएगी।

सीतामाता अभयारण्य में 66 वाटर होल

जिले के प्रमुख सीतामाता अभयारण्य में कुल 66 वाटर होल पर वन्यजीवों की गणना की जाएगी। इसके तहत अभयारण्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जाखम रेंजर सेामेश्वर त्रिवेदी ने बताया कि उपवन संरक्षक वन्यजीव सोनल जोरिहार के निर्देश पर एक दिवसीय वन्यजीव संख्या आकलन कार्यशाला वन्यजीव रेंज जाखम एवं वन्यजीव धरियावद की संयुक्त रूप से वन नाका ग्यासपुर में हुई। कार्यशाला में कर्मचारियों को जानकारी दी गई। जिसमें बताया कि 23 मई सुबह आठ बजे से 24 मई सुबह 8 बजे तक अभयारण्य में 66 वाटर होल पर वन्यजीव गणना की जाएगी। वाटर होल गणना पद्धति के बारे में कैमरा ट्रेप के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इसके साथ ही पग मार्क पहचान विधि के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यशाला में क्षेत्रीय वन अधिकारी धरियावद राधाकिशन मीणा ने गणना के दोरान रखी जाने वाली सावधानियों के बारे बताया। कार्यशाला में प्रशिक्षु क्षेत्रीय वन अधिकारी प्रथम समेराराम पुरोहित ने भी वन्यजीव को पहचानने एवं वन्यजीव पगमार्क तकनिकी की जानकारी दी। क्षेत्रीय वन अधिकारी देवीलाल मीणा ने वन्यजीवों के आवास, व्यवहार के बारे में बताया। कार्यशाला में नाका इंचार्ज ग्यासपुर रताराम मीणा, रमेश मीणा वनरक्षक, किशोरसिंह वनपाल, सोहनलाल वनपाल, विनोद खटीक सहायक वनपाल ने भी विचार रखे। कार्यशाला में ईडीसी भूमनिया, रतनपुरा, मांडकला, भुतिया आदि के सदस्य भी उपस्थित हुए। नीलू मीणा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

सूखे वाटर होल में भरने लगे पानी

गत दिनों से गर्मी बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही जंगल में पानी की कमी होने लगी है। जिसके चलते जलस्रोत भी सूखने लगे है। ऐसे में वन्यजीव भी भटकने लगे है। स्थिति को देखते हुए विभाग की ओर से इन जलस्रोतों में पानी भरने का सिलसिला शुरू किया गया है। जिससे वन्यजीवों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़े। वहीं गणना में भी सटिक आंकलन हो सके। वन विभाग की ओर से वन्य क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पानी के लिए समुचित व्यवस्था की जा रही हैं। इसके तहत वन विभाग ने कई जगहों पर वन्यजीवों के पानी पीने के लिए अस्थाई वाटर होल बनाए हैं। वाटर की वाटर होल के अंदर वन विभाग द्वारा रोजाना पानी डालकर वन्य जीवों की प्यास बुझाई जा रही है।