Aapka Rajasthan

Pratapgarh मुनि अपूर्व सागर ने कहा - भगवान की वाणी आत्मा को शांति देती है

 
Pratapgarh मुनि अपूर्व सागर ने कहा - भगवान की वाणी आत्मा को शांति देती है

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, जब बसंत आता है तो प्रकृति मुस्कुराती है और जब संत आता है तो संस्कृति मुस्कुराती है। बसंत हमें चेतावनी देने आता है कि संसार में सब कुछ नश्वर है। जो तेरा है वो तेरे पास नहीं रहने वाला है और ना ही रहेगा। उक्त विचार दिगंबर मुनि अपूर्व सागर ने सोमवार को नगर के चंद्रप्रभु दिगंबर जैन सभा स्थल पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि अपूर्व सागर ने कहा कि अष्ट कर्मों का नाश करने के लिए भक्त भगवान जिनेंद्र के समक्ष अष्ट द्रव्य चढ़ाते हैं। सम्यक दर्शन के आठ अंगों की प्राप्ति के लिए अष्ट द्रव्य चढ़ाते हैं। संसार की तड़पन से बचना है तो रोज प्रवचन सुनना चाहिए।

क्योंकि भगवान की वाणी गंगा जल के समान है, यह आत्मा को सुकून देती है। इसलिए रोजाना गुरुओं के प्रवचन सुनने चाहिए। संघस्थ ब्रह्मचारी नमन भैया ने बताया कि सोमवार को धरियावद के निजी शिक्षण संस्थान आइडियल्स विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने नवीन शैक्षणिक सत्र के प्रथम दिवस पर युगल मुनिराज के दर्शन करके अध्ययन प्रारंभ किया। इस दौरान मुनि ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि जिस दिन संत महात्मा के दर्शन होते हैं। वह पुण्य का दिन होता है। आदर्श यानि जिसमें संस्कार, सदाचार, नैतिकता, बौद्धिक विकास किया जाए। हमें अपने शिक्षकों का विनय और सम्मान करना चाहिए। क्योंकि वे हमें विद्या का दान देते हैं। हमेशा अच्छा और ऊंचा सोचें। शिक्षक का अर्थ बताते हुए मुनि ने कहा कि जो शिष्टाचार को जानता है, क्षमावान होता है और कर्तव्य निभाता है, वही शिक्षक होता है। हमें शिक्षा प्राप्त करके हनुमान जैसा भक्त और राम जैसा आदर्श पुरुष बनना है। सभी को अपने जीवन में शाकाहार को अपनाना चाहिए।