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Pratapgarh पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं कई प्राकृतिक स्थल, सुविधाएं नहीं

 
Pratapgarh पर्यटकों की पहुंच से दूर हैं कई प्राकृतिक स्थल, सुविधाएं नहीं 

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क,  कांठल में कई स्थान पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, वहीं इन स्थानों से निकटवर्ती शहरों का सीधा जुड़ाव नहीं होने से पर्यटकों की नजर से दूर हैं। प्रशासन को इन पर्यटकों को जोडऩे के लिए आवागमन की सुविधा करनी होगी। गौरतलब है कि जिले में कई स्थान इको ट्यूरिज्म की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन इन स्थानों को विकसित नहीं होने से आम लोगों की निगाह से दूर है। ऐसे में वन प्रशासन और वन विभाग की ओर से इन स्थानों को विकसित करने के लिए पारिस्थितिकी पर्यटन के तहत योजना बनाई जानी चाहिए। जिससे इन स्थानों को पर्यटन की दृष्टि से जोड़ा जा सके। हालांकि गत वर्ष ही जिला पारिस्थितिक पर्यटन योजना के अंतर्गत प्रतापगढ़ के लिए वन क्षेत्र और वन क्षेत्र से बाहर वह क्षेत्र, जिनमें प्राकृतिक रूप से पेड़-पौधे, झरने, वन्य जीव या कोई भौगोलिक विशिष्ट संरचना हो, ऐसे क्षेत्र को पर्यटन के रूप से विकसित करने की योजना शुरू की थी। लेकिन कई कारणों से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। ऐसे में यहां के पर्यावरणविदें को आस है कि इस बार इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा। जिससे यहां के प्रमुख स्थानों को भौगोलिक पृष्ठभूमि पर पहचान मिल सके। वहीं यहां के लोगों को रोजगार मिल सके।

पर्यटन से जुड़ने पर होगा विकास, मिलेगा रोजगार

प्रदेश में प्रतापगढ़ जिला प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। लेकिन पर्यटन के हिसाब से अभी भी यहां पर ज्यादा विकास नहीं हुआ है। प्रतापगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता जिसको यहां के लोगों ने संभाल कर रखा है। अगर पर्यटन से जोड़ दिया जाता है तो यहां के स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर तो उपलब्ध होंगे। साथ ही बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी प्रकृति के साथ जुडऩे का मौका उपलब्ध होगा। पर्यटन विकास के लिए दो बातें बहुत ही जरूरी है। पहला स्थानीय जनता के लिए रोजमर्रा की जिंदगी से अलग हटके कोई क्रिया-कलाप हो। जिसमें वह परिवार के साथ जाकर शाम तक वापस आ जाए। दूसरा बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए कम से कम 2 दिन की गतिविधियां और रात को रुकने का साफ-सुथरा प्रबंध।

यहां जिले में इको टूरिज्म के तहत जिला स्तरीय कमेटी द्वारा इन 2 बातों का विशेष ध्यान रखते हुए एक ही रूट पर तीन से चार इको टूरिज्म की साइट्स जो एक दूसरे से कनेक्टेड हो, विकसित करने का मंथन किया था। जिसमें प्रतापगढ़ में चित्तौड़गढ़ की तरफ से आते हैं तो भंवर माता, बुलबुला महादेव, पांडेरिया डेम इत्यादि जगहों को पर्यटन के हिसाब से विकसित कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर अरनोद की तरफ जाते हैं तो वहां पर भी गौतमेश्वर महादेव, कमलेश्वर महादेव इत्यादि को विकसित कर सकते हैं। धरियावद क्षेत्र में जाएं तो वहां सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य के साथ-साथ झरनी माता जैसी रमणीय स्थान भी है।