Pratapgarh आठ सौ हैक्टेयर में लहलहा रही फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों ने खेतों पर डाला डेरा
प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, जिले में प्रमुख रूप से व्यवसायिक फसल अफीम पर इन दिनों फूल खिलने लगे हैं। ऐसे में खेतों के पास हवा में मादकता की गंध भी घुलने लगी है। वहीं अति संवेदनशील फसल की रखवाली में किसान भी खेतों पर रहने लगे हैं। इसके लिए किसानों ने खेतों पर ही आशियाने बना लिए है। इस वर्ष नारकोटिक्स विभाग की ओर से जिले में कुल आठ हजार 38 किसानों को बुवाई के लाइसेंस दिए थे। जिसमें से 11 किसानों ने अफीम फसल की बुवाई नहीं की है। इस प्रकार जिले के 246 गांवों के कुल आठ हजार 27 खेतों में अफीम की फसल लहलहा रही है। जहां किसानों ने फसल की पूर्ण रूप से सुरक्षा की है। किसान वर्ग अपने खेतों पर ही आशियानें बनाकर रहने लगे है। जिससे फसल की पशु-पक्षी आदि से सुरक्षा की जा सके।
किसान परिवारों की बढ़ी चिंता
करजू. अफीम के खेतों में पौधों पर फूल आने लगे हैं। अफीम की फसल की बढ़वार के साथ ही किसान परिवारों की चिंता भी बढ़ रही है। किसान फसल की सुरक्षा में हर समय खेतों पर रहने लगे। कई अफीम किसानों खेतों पर झोपडिय़ां बना ली हैं। करीब तीन महीने ये झोंपडिय़ां ही इनका आशियाना होंगी। पौधों पर फूल और डोडा आते ही तस्कर सक्रिय हो जाता हैं। मवेशियों और मौसम से नुकसान की आशंका भी कम नहीं रहती। मवेशियों, विशेषकर रोजड़ों से फसल की सुरक्षा के लिए तारबंदी, लोहे की जालियां कई खेतों पर लगा दी हैं। अफीम खेत के चारों तरफ मक्का की बुवाई की है। ताकि शीतलहर और पाले के असर से बचा सकें।
अफीम की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान इस क्षेत्र में रोजड़ों से होता है। किसानों की सबसे ज्यादा मेहनत इन रोजडों से फसल को बचाने में ही जाती है। नीलगायों से बचाने के लिए टेप की तेज आवाज कर तो कोई किसान पटाखे छोडक़र बचाने का जतन कर रहे हैं। नारकोटिक्स विभाग की ओर से इस वर्ष कुल आठ हजार 38 किसानों को अफीम बुवाई के लाइसेंस दिए गए थे। जिसमें 247 गांवों में किसानों ने बुवाई की है। इनमें से 11 किसानों ने बुवाई नहीं की है। ऐसे में जिले में अभी आठ हजार 27 किसानों ने बुवाई की है।
