Pratapgarh बदलते मौसम की मार से बच्चे बीमार, 70 फीसदी में इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण संक्रमण

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, प्रतापगढ़ अगर आपके बच्चे के गले में खराश है, सांस लेने में तकलीफ है, सर्दी और खांसी से पीड़ित है। अगर आपको चलते समय बार-बार बुखार और थकान महसूस हो रही है तो इसे हल्के में न लें। यह इन्फ्लूएंजा वायरस हो सकता है। बदलते मौसम के बीच बच्चे तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना परामर्श के लिए आने वाले 70 फीसदी बच्चों में इंफ्लूएंजा वायरस के लक्षण मिल रहे हैं। हालांकि अधिकांश शिशुओं के परिजन परामर्श के बाद ही लौट रहे हैं। इसके बावजूद जनाना अस्पताल के 35 बेड के शिशु वार्ड में एक सप्ताह में 62 बच्चे भर्ती हो चुके हैं।
डॉक्टरों ने माता-पिता को चेतावनी दी कि बच्चे को किसी भी मेडिकल स्टोर संचालक की या किसी की सलाह पर दवा न दें। तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टरों का कहना है कि इस बार फ्लू के लक्षण भी अलग हैं और ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है. ओपीडी में रोजाना करीब 100 से 150 बच्चे आ रहे हैं। एक सप्ताह में आईपीडी में दाखिले की संख्या बढ़कर 62 हो गई है। इसका बढ़ा हुआ कारण सर्दी का अचानक गायब होना है। वहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है और मास्क भी नहीं लगा रहे हैं.
बदलते मौसम के बीच जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या भी डेढ़ गुना बढ़ गई है। हालांकि यह वायरस बच्चों पर भी ज्यादा अटैक कर रहा है। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में 80 फीसदी मरीज सर्दी, खांसी और बुखार के हैं। वायरल मरीजों के बढ़ते आंकड़ों के चलते अस्पताल खुलते ही डॉक्टर की टेबल पर कंसल्टिंग मरीजों का अंबार लग गया है. नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ नरेश कुमावत ने बताया कि परामर्श के लिए आने वाले 65 से 70 फीसदी मरीजों में वायरल के लक्षण होते हैं। आने वाले मरीजों के लिए लिखे जा रहे टेस्ट की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
जनाना अस्पताल में कार्यरत शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ धीरज सेन ने कहा कि वायरस से प्रभावित बच्चे को ठीक होने में समय लग रहा है। पहले आमतौर पर एक मरीज को ठीक होने में करीब 5 से 7 दिन लग जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार मरीज को ठीक होने में 15 दिन से ज्यादा का समय लग रहा है। कई मरीजों को ठीक होने में 20 दिन लग रहे हैं। अधिकांश मरीजों में ठीक होने के कुछ सप्ताह बाद खांसी की शिकायत मरीजों में देखी जा रही है। चोलक के अनुसार आज भी बच्चों के स्कूल चल रहे हैं। अगर बच्चों को हल्की खांसी और जुकाम है तो वे मेडिकल स्टोर से वायरल फीवर को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स और दवाएं लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि फैलने वाला वायरस इन्फ्लुएंजा हो सकता है। इसके लिए हर साल फ्लू का टीका लगवाना, हाथों को साबुन से बार-बार धोना, बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचना, छींकते और खांसते समय मुंह और नाक को ढंकना चाहिए। इससे बचाव का सबसे कारगर तरीका है कि हर समय गुनगुना पानी पिएं। डॉ. सेन का कहना है कि बीमार मरीजों का इलाज करते-करते वे भी चपेट में आ गए, गुनगुना पानी पीकर अपनी सेहत का ख्याल रखा और ठीक हो गए।