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Pratapgarh खांखले की कमी और अवैध भंडारण के कारण प्रति किलो 13 रुपए कीमत, मवेशी मालिक परेशान

 
Pratapgarh खांखले की कमी और अवैध भंडारण के कारण प्रति किलो 13 रुपए कीमत, मवेशी मालिक परेशान

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क , प्रतापगढ़ जिले में चारे (खांकला) के बढ़ते भावों से पशुपालक परेशान हैं। जिले का 16 लाख पशुधन है, इनमें गाय व बैल 3 लाख 60 हजार, भैंस 2 लाख 40 हजार, बकरी 9 लाख, घोड़े 200 हैं। महंगे चारे और पशु आहार के कारण पशुपालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है। चारा महंगा होने कई इलाकों में खांखला नहीं मिलने से भी लोग परेशान है। कई पशुपालक चारा नहीं मिलने से कुछ पशुओं को खुला छोड़ रहे तो कई कम दामों में मवेशी बेचने को मजबूर हैं। किसान दिनेश कुमार के अनुसार एक हैक्टेयर से 7 ट्रॉली चारे का उत्पादन होता है, पिछले तीन-चार साल से जिले में चारे की कमी देखने को मिल रही है।

चारा माफिया फसलों के तुरंत चारा निकलने के बाद किसानों के पास रखने की उचित जगह नहीं होने से वे इनसे कम दाम यानी दो से तीन रुपए किलो में खरीद लेते है। मुख्यालय से दूर एमपी बॉर्डर के नजदीक बड़ी मात्रा में स्टोर कर लेते हैं, फिर वहां से बाहरी क्षेत्र में प्लाई, लकड़ी के गट्टे बनाने की फैक्टरी में 8 से 10 रुपए किलो के भाव से बेचते है। इससे जिले में चारे की डिमांड बढ़ गई है और मुख्यालय के किसान अब एमपी के गांवों से महंगे दामों पर चारा खरीदकर लाने पर मजबूर है। चारा माफियाओं ने पिछले दिनों की तुलना में चारे के भाव दोगुने कर दिए हैं। ऐसे में पशुपालक और किसानों के लिए चारा खरीदना मुश्किल हो रहा है। पहले चारे के भाव 4000 से 5000 रुपए ट्रॉली थी, लेकिन चारा माफियाओं की मनमानी के चलते भाव 1000 से 1300 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए हैं।

वहीं, पशु आहार के भाव भी पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं। इससे पशुपालक चिंतित हैं। डेयरी संचालक गाय का दूध 30 से 35 रुपए लीटर तक खरीद रहे हैं और भैंस का दूध 45 से लेकर 50 प्रति लीटर के हिसाब से खरीद रहे हैं। इससे पशुपालकों को मुनाफा तो दूर उनकी लागत भी नहीं मिल पा रही है। जिले के कई दलाल चारे का अवैध भंडारण कर फैक्ट्रियों और जरूरतमंद पशुपालकों से मोटी रकम लेकर चारा बैच रहे है। चारा माफिया दो से तीन हजार ट्रॉली एक साथ स्टॉक कर क्षेत्र में कमी होने पर महंगे दामों पर बेचते है।

केस -01. प्रतापगढ़ शहर के मंदसौर रोड निवासी पशुपालक मदनलाल ने बताया कि पिछले एक महीने से चारे की बड़ी कमी देखने को मिल रही है। आसपास इलाके में तो चारा भी नहीं मिल रहा है। जहां मिल रहा है वह भी लोग 10 से 13 रुपए प्रति किलो का भाव बता रहे है। ऐसे में पशुपालन भी महंगा पड़ रहा है। डेयरी पर भी दूध के दाम 30 लीटर से ज्यादा नहीं मिल रहे। कुछ दलाल ट्रक में सभी प्रकार कचरे के मिश्रण के 25 हजार मांग रहे हैं, बड़ी रकम होने के चलते हम नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे में सरकार को चारे के अवैध भंडारण पर रोक लगानी चाहिए।

केस - 02. सुहागपुरा क्षेत्र के पशुपालक कान्हा गुर्जर बताते हैं कि मेरे बाड़े में तीन गाय और दो भैंस है। हर दिन उनके चारे के लिए गांव-गांव भटकना पड़ता है, इस बार तो चारे की भारी कमी है। हमारे पास भंडारण की जगह नहीं होने के चलते फसल निकालने के तुरंत बाद थोड़ा रख लेते हैं और बाकी बेचते हैं, लेकिन हमें नहीं पता था कि बाद में इतना महंगा मिलेगा।