Pratapgarh सीतामाता अभयारण्य में सुविधाएं बढ़ेंगी तो पर्यटन को लगेंगे पंख
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प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, वन विभाग की ओर से सीतामाता अभयारण्य में पर्यटकों के लिए काफी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन यह सुविधाएं यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए काफी कम है। जिसे देखते हुए यहां पर्यटकों के लुभाने के लिए और सुविधाओं की आस है। उदयपुर व चित्तौडगढ़ में पर्यटक भरपूर संख्या में आते हैं। इन दोनों स्थानों से सीतामाता मंदिर की दूरी भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में यह स्थान अच्छा ट्यूरिस्ट स्पॉट बन सकता है। इसके लिए विभाग और सरकार की ओर से गत वर्षों से काफी प्रयास किए जा रहे है। लेकिन पर्यटकों को लुभाने और यहां तक लाने के लिए यह प्रयास काफी कम है।
इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दरकार है। वन विभाग, सरकार और जनप्रतिनिधि भी इसे पर्यटन दृष्टि से बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। यहां काफी विकास कार्य कराए जा रहे है। हालांकि अभी यहां आवागमन के साधन और मार्ग कम होने के कारण पर्यटकों की संख्या भी कम ही है। इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अभी स्थानीय स्तर पर भी काफी कुछ प्रयास बाकी है। अभयारण्य राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। उदयपुर-प्रतापगढ़ राज्य राजमार्ग पर उदयपुर और चित्तौडगढ़ से क्रमश: 100 और 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन चित्तौडगढ़ है। निकटतम हवाई अड्डा 80 किमी की दूरी पर स्थित उदयपुर है। इन सभी स्थानों से अभयारण्य तक सडक़ मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।
पहुंचते है 15 हजार पर्यटक
सीतामाता अभयारण्य में अभी करीब 15 हजार पर्यटक प्रतिवर्ष पहुंचते है। जिसमें भारतीय दस हजार और विद्यार्थी पांच हजार के करीब पहुंचते है। जबकि विदेशी पर्यटकों की संख्या सौ से भी कम है। सीतामाता अभयारण्य में स्थित सीतामाता का मेला ज्यैष्ठ अमावस्या पर आयोजित किया जा रहा है। जो पाल ग्राम पंचायत की ओर से आयोजित किया जाता है। इसमें तीन दिन तक करीब ढाई से तीन लाख तक लोग पहुंचते है। जो राजस्थान समेत मध्यप्रदेश से आते है। सीतामाता मंदिर तक पहुंचने के प्रमुख तीन मार्ग है। एक बड़ीसादड़ी से दमदमा गेट से होता हुआ आता है। वहीं दूसरा मार्ग धरियावद से आता है। जबकि तीसरा मार्ग ग्यासपुर से अनोपपुरा होते हुए आता है। हालांकि यहां पगडंडियां तो कई बना रखी है।