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Pali अमावस्या की रात देसी दीयों के साथ गुजराती दीयों से भी जगमगाएगी

 
Pali अमावस्या की रात देसी दीयों के साथ गुजराती दीयों से भी जगमगाएगी

पाली न्यूज़ डेस्क, रोशनी के पर्व दिवाली पर अमास्या की काली स्याह रात रोशनी से जगमगाएगी। इस दिन दीपमालाएं सजाने का जो क्रेज कम हुआ था। इस बार वह फिर सिर चढ़कर बोल रहा है। जिलेवासी इलेक्ट्रिक झालरों व लाइटों के साथ मिट्टी के दीयों की दीपमालाएं सजाकर माता लक्ष्मी की अगवानी करेंगे।वहीं मिट्टी के दीयों का क्रेज देखकर ही विक्रेताओं ने इस बार देसी के साथ गुजराती दीयों की अलग-अलग वैरायटी मंगवाई है। जो शहर के फुटपाथ के साथ दुकानों पर सजे हैं। देसी दीये वैसे तो पाली शहर या गांवों में बनाए जाते हैं, लेकिन अब उनके कारीगर कम रह गए हैं। कम बिक्री होने से भी कई लोगों ने यह काम छोड़ दिया था। इस बार मांग अधिक होने से विक्रेताओं ने ऐसे दीये अलवर से मंगवाए हैं। विक्रेता सोहनलाल ने बताया कि पाली जिले में दीये बनते हैं, लेकिन मांग के बराबर इस बार आपूर्ति नहीं हो रही थी। इस कारण अलवर से मंगवाए है। ये दीये भी हमारे पाली के दीयों जैसे ही है।

गुजरात के मोरबी के दीए

माता लक्ष्मी के समक्ष पूरी रात जिस दीये में घी या तेल डालकर जलाया जाता है। वह दीया गुजराती अधिक पसंद किया जा रहा है। इसके साथ ही तुलसी का पौधा लगाने जैसे दीये, रंगीन, चित्रकारी वाले सहित अलग-अलग आकार के गुजराती दीये लोगों की पसंद है। ये दीए तेल कम सोखने के साथ रिसते भी नहीं है। इनकी डिजाइन लोगों को अधिक भा रही है।