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Pali की परम्परा, गणेश चतुर्थी पर सामाजिक संगठनों ने तैयार किए 7.50 लाख लड्डू

 
Pali की परम्परा, गणेश चतुर्थी पर सामाजिक संगठनों ने तैयार किए 7.50 लाख लड्डू

पाली न्यूज़ डेस्क, पाली पूरे राजस्थान में पाली एकमात्र ऐसा शहर है जहां गणेशोत्सव के दौरान अधिकांश मिठाई की दुकानें बंद रहती हैं। क्योंकि इस दौरान पर्यूषण पड़ता है इसलिए जैन समुदाय के साथ अन्य समुदाय के लोग भी 9 दिनों तक अपना कारोबार लगभग बंद रखते हैं. बप्पा को भोग लगाने के लिए लड्डू आसानी से उपलब्ध हो इसके लिए सामाजिक संस्थाएं अपने स्तर पर लड्डू बनाकर लागत दर पर उपलब्ध कराती हैं। 20 साल पहले माहेश्वरी समाज द्वारा शुरू की गई इस मुहिम में अब 10 सामाजिक संस्थाएं भी शामिल हो गई हैं, जिन्होंने इस बार 100-200 नहीं बल्कि 50 हजार किलो लड्डू बनाए हैं. यानी करीब 7 लाख 50 हजार लड्डू बनाए गए हैं. लड्डू बनाने से लेकर कूपन और बाद में लड्डू बांटने का अभियान इतना बड़ा है कि इसे चलाने में 10 सामाजिक संगठनों के 600 लोगों की टीम लगी हुई है.

इसमें खासियत यह है कि इस पूरे अभियान में श्रद्धालु कूपन लेते समय ही पैसे जमा कर देते हैं। गणेशोत्सव से एक दिन पहले डिलीवरी शुरू कर दी जाती है. ब्राह्मण युवा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कनिष्क शर्मा, माहेश्वरी महोत्सव समिति के अध्यक्ष विमल मूंदड़ा और अग्रवाल समाज के अरुण गुप्ता का कहना है कि इस साल 25 फीसदी अधिक मात्रा में लड्डू बनाए गए हैं. ये सामाजिक संस्थाएं लड्डुओं के अलावा काजू कतली और गुलाब जामुन भी बनाकर भक्तों को लागत दर पर मुहैया कराती हैं. गणेशोत्सव से तीन दिन पहले से ही सभी लोग अपने-अपने यहां लड्डू बनाना शुरू कर देते हैं. समाजबंधु देर रात तक आधा-आधा किलो की पैकिंग खुद करते हैं। यहां गणपति हर दिन दूल्हा बनते हैं, इसलिए नजरों से बचने के लिए काली टाई पहनते हैं।

पालीराजा के ध्वज क्षेत्र में रिद्धि सिद्धि गजानन विराजमान हैं। करीब 300 साल पुरानी यह मूर्ति पाली की सबसे पुरानी मूर्ति मानी जाती है, जो कभी सोमनाथ मंदिर के पास से गुजरने वाली बांडी नदी के तट पर स्थापित की गई थी। हर दिन उसे दूल्हे की तरह सजाया जाता है. किसी की नज़र से बचने के लिए उनकी पोशाक में हर दिन एक काली टाई जैसा कपड़ा शामिल होता है। मंदिर की देखभाल करने वाले माहेश्वरी समाज के विमल मूंदड़ा बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले युवक-युवतियों की जल्द ही शादी हो जाती है। लड़के-लड़कियां यहां 11 नारियल चढ़ाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं और शादी तक अपने पास रखते हैं। विवाह के बाद इसे तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। मान्यता- कपल शादी में 11 नारियल चढ़ाते हैं और शादी के बाद उन्हें विसर्जित कर देते हैं। इस बार ब्राह्मण युवा महासभा ने सबसे ज्यादा 11 हजार किलो लड्डू बनाए हैं.