Pali मारवाड़ में पारंपरिक शादियों का चलन, अपने देश लौट रहे प्रवासी

पाली न्यूज़ डेस्क, मारवाड़ में शादियों की धूम मची हुई है। गांव-गांव में शहनाई गूंज रही है। प्रवासी राजस्थानी भी शादियों के लिए आपणे देश आए हुए हैं। किसी की बेटी तो किसी का बेटा परिणय सूत्र में बंध रहे हैं। खास बात यह कि मांगलिक कार्यो के लिए हजारों किलोमीटर दूर शहरी संसाधन-सुविधाएं छोड़कर प्रवासी राजस्थानी मारवाड़ में आयोजन कर रहे हैं। वे परम्परा और रीति-रिवाज को महत्व दे रहे हैं। जड़ों से जुड़ाव के ऐसे उदाहरण इन दिनों गांवों में नजर आ रहे हैं।
हैदराबाद से आकर डॉक्टर बेटी को गांव से किया विदा
तीन दशक से हैदराबाद में हार्डवेयर का व्यवसाय करने वाले धनला बेरा धर्मसागर निवासी वेलाराम भायल ने अपनी डॉक्टर बेटी हिमांशी की शादी गांव में की। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में वैदिक रीति रिवाज से आयोजन किया गया। भायल ने बताया कि 1980 में दसवीं पास करने के बाद वे हैदराबाद में चले गए। उनका पूरा परिवार हैदराबाद में ही रहता है। शहर में बारातियों के लिए सुविधाएं ज्यादा हो सकती है, लेकिन गांव जैसा माहौल नहीं। अपनी संस्कृति से लगाव के कारण बेटी को गांव से ही विदा किया।
गुजरात के वापी में व्यापार, गांव में परम्परागत शादी
नाडोल के निकट गुड़ा रूपसिंह के निवासी लक्ष्मणसिंह कुम्पावत ने हाल ही में अपने बेटे की शादी गांव में ही की। वे लंबे समय से गुजरात के वापी शहर में रहते हैं और वहीं उनका व्यापार और निवास है। उन्होंने बेटे मानवेन्द्र के विवाह का आयोजन गांव में परम्परागत तरीके से किया। बारात जैसलमेर गई। राजस्थानी संस्कृति के अनुरूप सामाजिक रीति-रिवाज सम्पन्न किए। कुम्पावत का कहना है कि शादी-विवाह जैसे मांगलिक आयोजन तो अपने गांव में ही होने चाहिए। इससे बच्चे भी अपनी संस्कृति और गांवों से जुड़े रह सकेंगे।