Pali में जज के फर्जी हस्ताक्षर कर की धोखाधड़ी, एक गिरफ्तार

पाली न्यूज़ डेस्क, पाली एमएसी लीगल क्लर्क ने कोर्ट को ही धोखा दे दिया. उसने जज के फर्जी हस्ताक्षर कर 28.5 लाख रुपये का चेक अपने पार्टनर के खाते में जमा कर दिया. जब एसबीआई बैंक से ट्रांजैक्शन का मेल कोर्ट जज के पास आया तो कोर्ट में हड़कंप मच गया. इसके बाद न्यायाधीश के निर्देश पर अपर सत्र न्यायालय बाली के वरिष्ठ रीडर ने लिपिक व उसके साथी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बुधवार को साथी को गिरफ्तार कर लिया। घटना मंगलवार को पाली के बाली थाना इलाके में हुई. बाली थानाप्रभारी विक्रम सिंह सांदू ने बताया कि पाली जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के वरिष्ठ रीडर भंवरलाल ने 9 जनवरी को बाली थाने में मांगीलाल (32) पुत्र भूराराम प्रजापत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मांगीलाल, बाली पोस्ट ऑफिस के पास रहता है. मामले में गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ में मांगीलाल ने बताया कि यह रकम उसे एडीजी कोर्ट बाली के क्लर्क ग्रेड प्रथम निर्मल चंद वर्मा पुत्र श्रवणलाल आमेर जयपुर ने जमा कराने के लिए दी थी। इसके बाद बुधवार को मंजिला को कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उसे 5 दिन की रिमांड पर लिया गया है.
25% देने की थी डील
अब तक की पूछताछ में मांगीलाल ने बताया कि वह निर्मल को 5 साल से ज्यादा समय से जानता है. निर्मल उसकी बहन के मकान में किराएदार है। ऐसे में हमारी उनसे अच्छी दोस्ती है. मांगीलाल ने बताया कि उसकी बाली में साड़ी की दुकान है, जहां मांगीलाल अक्सर आया करता था। 7 जनवरी को निर्मल उसके पास चेक लेकर आया और बोला- ये पैसे अपने खाते में जमा करवा दो। कुछ न होगा। जो राशि है. इसमें से 75 फीसदी हिस्सा वह रखेगा और 25 फीसदी उसे देगा. इसी तरह यूसेब उसके झांसे में आ गया और 8 जनवरी को यह रकम उसके खाते में जमा करा दी।
एसबीआई से मेल आया तो राज खुला।
9 जनवरी को पाली जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के वरिष्ठ रीडर भंवरलाल बाली निवासी 32 वर्षीय मांगीलाल पुत्र भूराराम प्रजापत और एडीजी कोर्ट बाली के क्लर्क ग्रेड प्रथम निर्मल चंद वर्मा पुत्र श्रवण लाल वर्मा के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसमें बताया गया कि 9 जनवरी की सुबह एमएसी लीगल क्लर्क रामकेश ने अपर सत्र न्यायाधीश बाली डॉ. सिंपल शर्मा को बताया कि एसबीआई बैंक से एक मेल आया है।
मोटर दावा राशि धोखाधड़ी
जिसमें मांगीलाल के खाते में 28.5 लाख रुपए का भुगतान चेक के माध्यम से करना बताया गया है। जब बैंक में पूछताछ की गई तो पता चला कि यह चेक जज मोटर वाहन दुर्घटना दावा प्राधिकरण (मोटर दावा) बाली की मुहर और हस्ताक्षर के तहत जारी किया गया था। जबकि जज ने ऐसा कोई चेक जारी नहीं किया. जज के फर्जी हस्ताक्षर से चेक जारी करने का मामला सामने आते ही जज के आदेश पर कोर्ट के रीडर ने मांगीलाल नामक व्यक्ति का खाता बैंक मैनेजर से फ्रीज करवा दिया.