Pali किसान बना टेक्सटाइल कंपनी का मालिक, खेती और पशु पालन से की शुरुआत
पाली न्यूज़ डेस्क, पाली एक टेक्सटाइल व्यापारी ने 35 साल पहले सब्जी और भैंसों के साथ खेती में एक छोटी सी शुरुआत की थी। हालांकि, उन्हें पता नहीं था कि आने वाले सालों में उनका ये कदम उन्हें लखपति बना देगा। किसान की इनकम अब 10 से 12 लाख के बीच है। अब ये व्यापारी किसान सीताफल की प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत करने जा रहे हैं और इसके लिए 30 बीघा में सीताफल के पौधे लगाए हैं। म्हारे देस री खेती में इस बार आपको ले चलते हैं पाली से 10 किलोमीटर दूर हाथलाई गांव में। पाली शहर के टेक्सटाइल बिजनेसमैन मांगीलाल गांधी के 50 बीघा खेत में सीताफल से लेकर अनार और आंवला तक की खेती होती है।
ऐसे हुई खेती से शुरुआत
साल 1988 में उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। उस समय इतनी मिलावट नहीं होती थी, लेकिन उन्हीं के एक दोस्त ने बताया कि बाजार में कई लोग सब्जियों से लेकर दूध और घी में मिलावट करते हैं। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार के लिए जमीन खरीदी और इस पर हरी सब्जियां और गेहूं की बुवाई शुरू की। कपड़े के बिजनेस के साथ उनकी खेती में भी रुचि बढ़ती गई। उन्होंने तय किया कि उनके यहां होने वाली फसलों में वे केमिकल काम में नहीं लेंगे। धीरे-धीरे पाली सब्जी मंडी में उनके खेत में होने वाली सब्जियां बिकने के लिए जाने लगी और डिमांड बढ़ने लगी। साल 2007 में एक रिश्तेदार के कहने पर उन्होंने 10 बीघा में आंवला के 400 पौधे लगाए। उन्होंने बताया कि एक पेड़ से 30 से 40 किलो फल होता और अभी साल में वे 12 हजार किलो आंवला का प्रोडक्शन हो रहा है।
इसी तरह उन्हें किसी ने महाराष्ट्र के अनार के बारे में बताया तो 2018 में 10 बीघा जमीन पर उन्होंने 400 अनार के पौधे लगाए। अब साल में एक पेड़ से 30 किलो अनार का प्रोडक्शन होने लगा। जब उन्हें पता चला कि ऑर्गेनिक फ्रूट की डिमांड बाजार में काफी है तो उन्होंने 30 बीघा खेत में 6 हजार सीताफल के पौधे लगाकर उसकी खेती करना शुरू किया। गांधी ने बताया कि से 400 पेड़ों से औसतन सालाना 12 हजार किलो आंवला मिलता है जो लोकल मंडी में ही 30 से 40 रुपए किलो में बिक जाता है। ऐसे में सालाना करीब 5 लाख की इनकम हो जाती है। इसी तरह अनार से भी करीब 5 लाख की आय हो जाती है। गांधी ने बताया कि अगले साल तक उनकी ये इनकम सीताफल से दोगुनी हो जाएगी। 6 हजार पौधे से अच्छा खासा प्रोडक्शन होगा, जो लोकल और बाहर की मंडियों में 100 रुपए किलो तक भी बिकेगा।
खेत में तैयार होगी सीताफल की प्रोसेसिंग यूनिट
मांगीलाल गांधी ने जुलाई महीने में अपने फॉर्म हाऊस पर सीताफल की खेती शुरू की । वे बताते हैं कि सीताफल को मंडियों के बेचने के अलावा यहां प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई जाएगी। इसके बाद यहां सीताफल का पल्प तैयार होगा। इसके अलावा आइसक्रीम और इसका शेक बनाकर देश के अलग-अलग शहरों में बेचा जाएगा। इसके साथ सीताफल के अन्य प्रोडक्ट भी पैक कर बाजार में बेचेंगे। सीताफल, अनार, आंवला, सब्जियों और पशुओं की देखरेख के लिए उन्होंने फॉर्म हाऊस पर 5 एक्सपर्ट किसान रखे हुए हैं। जिनकी सैलरी पर प्रति महीना 50 हजार से ज्यादा खर्च होता है। इसके साथ अनार, आंवला की फसल में कोई समस्या आने पर कृषि एक्सपर्ट को विजिट के लिए फॉर्म हाऊस पर बुलाते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक वे आंवला, अनार और सीताफल की फसल और खेत में ड्रिप सिस्टम लगाने पर करीब 25 से 30 लाख रुपए का निवेश किया है।
यूरिया खाद का नहीं करते उपयोग
उन्होंने बताया कि उनके फॉर्म हाऊस पर उगे अनार, आंवला, सीताफल सहित सब्जियों की फसल में वे यूरिया खाद का उपयोग बिलकुल नहीं करते। भैंसों के गोबर से यहां खाद तैयार करते है। जिससे की पौधें अच्छे ग्रोथ करते हैं। इसके अलावा इन सभी फलों और अन्य फसलों के लिए खेत में ही ऑर्गेनिक खाद तैयार की जाती है। इसके साथ ही गांधी ने अपने फॉर्म हाऊस में एक पक्षी घर भी बना रखा है। इसमें शाम ढलते ही 400 से ज्यादा पक्षी पनाह लेने के लिए आते है। इसके साथ ही इनके खेत में आस-पास से बड़ी संख्या में मोर भी आते है। जिनके दाने-पानी की व्यवस्था भी इनकी और से की गई। मांगीलाल गांधी ने बताया कि जब उन्हें लगा कि बाजार में दूध, घी में मिलावट होती है और फल-सब्जियों को यूरिया खाद से पकाया जाता है। जो बॉडी को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए आज से करीब 35 साल पहले जमीन खरीदी। सोचा था कि मैं अपने परिवार को शुद्ध अनाज और फ्रूट दू लेकिन जब लोगों तक ये पहुंचा तो उन्हें ये पसंद आने लगा। जैसे-जैसे डिमांड बढ़ी वैसे ही अलग-अलग फ्रूट की खेती यहां करने लगे।
