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Pali पर्यावरण संरक्षण को लेकर कॉलेज प्रिंसिपल की पहल, स्कूटी छोड़ साइकिल से आ रहे कॉलेज

 
Pali पर्यावरण संरक्षण को लेकर कॉलेज प्रिंसिपल की पहल, स्कूटी छोड़ साइकिल से आ रहे कॉलेज

पाली न्यूज़ डेस्क, पाली जिले के बांगड़ कॉलेज के प्रिंसिपल इन दिनों घर से कॉलेज आना-जाना साइकिल से कर रहे हैं। जो कॉलेज कैम्पस में चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही वे कॉलेज के स्टाफ और स्टूडेंट को भी साइकिल से कम से कम सप्ताह में दो बार आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिससे की हेल्थ भी अच्छी रहे और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी कुछ किया जा सके।  पाली शहर के बांगड़ कॉलेज के प्रिंसिपल पद की कमान इन दिनों महेंद्रसिंह राजपुरोहित संभाल रहे है। जो खुद कभी इसी कॉलेज के स्टूडेंट रह चुके है। साइकिल लेकर कॉलेज आने का क्रम कैसे शुरू हुआ। इसको लेकर कॉलेज प्रिंसिपल राजपुरोहित ने बताया कि वे पिछले करीब दो साल से सुबह के समय साइकलिंग कर रहे हैं। फिर मन बना लिया कि मैं अपने रूटीन की दिनचर्या में भी साइकिल से आना-जाना शुरू करूंगा। इसके तहत ही वीडी नगर स्थित घर से कॉलेज तक आना-जाना साइकिल से करना शुरू किया है। इसके साथ ही शहर में कोई काम होने पर भी साइकिल लेकर ही निकलते है और पूरा मन बना लिया कि अब रूटीन लाइफ में भी साइकिल से ही आना-जाना रखेंगे। क्योंकि उनकी उम्र अभी 58 साल के करीब हो गई है। साइकिल चलाना सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ ही पर्यावरण को भी इससे नुकसान नहीं पहुंचता।

स्टाफ और स्टूडेंट को भी कर रहे जागरूक

बांगड़ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. महेंद्रसिंह राजपुरोहित ने बताया कि एक समय था जब कॉलेज में भी स्टूडेंट साइकिल से आते थे, अब स्थिति यह है कि बाइक और बड़ी-बड़ी कारों से स्टूडेंट कॉलेज पहुंच रहे है। इससे पार्किंग भी सुविधा करने में दिक्कत होती है। साइकलिंग करना हेल्थ के लिए अच्छा रहता है। इसको लेकर कॉलेज स्टूडेंट और साथी स्टाफ को भी जागरूक करता हूं कि कम से कम वे भी सप्ताह में दो दिन तो साइकिल से कॉलेज पहुंचे। इससे उनकी हेल्थ भी अच्छी रहेगी और पर्यावरण संरक्षण में भी वे अपना योगदान दे सकेंगे।

जिस कॉलेज में पढ़े, वहीं के प्रिंसिपल बने

डॉक्टर एमएस राजपुरोहित बताते है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई इसी बांगड़ कॉलेज से पूरी की है। उन्होंने एमए राजनीतिक विज्ञान में की है। वर्ष 1998 में सहायक प्रोफेसर के पद पर उन्होंने सरकारी नौकरी जॉइन की। पाली, सोजत, जालोर, पाली गर्ल्स कॉलेज में रहे। लेकिन ज्यादातर नौकरी उन्होंने बांगड़ कॉलेज में ही की। उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् गीत पर उन्होंने पीएचडी भी की।