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Pali बाइपास पुल के साथ पुनायता औद्योगिक क्षेत्र में तेजाबी पानी के निशान, माफिया सक्रिय

 
Pali बाइपास पुल के साथ पुनायता औद्योगिक क्षेत्र में तेजाबी पानी के निशान, माफिया सक्रिय
पाली न्यूज़ डेस्क, पाली   ये दो उदाहरण यह सच्चाई बताने के लिए काफी है कि केमिकल माफिया यहां कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है। पाली के आसपास नदी नालों में ऐसे ढ़ेरों जख्म और टैंकरों के पहियों के निशान आसानी से दिख जाते हैं। इसके बावजूद माफिया की नकेल कसने का कोई तोड़ नहीं निकल रहा। इस कारण हमारी जमीन बंजर हो रही है। पाली को प्रदूषण से मुक्त करने की मुहिम को भी धक्का लग रहा है। यह किसी की साजिश का हिस्सा भी हो सकता है, लेकिन इससे पर्दा उठाने के लिए प्रशासन को गंभीरता दिखाने की जरूरत है।

गड्ढों में भी डाल रहे पानी

टैंकरों का पानी नदी में बने गड्ढों में भी पाइप से डाला जा रहा है। बांडी नदी के पुल के ऊपर से पाइप गिराकर यह पानी गड्ढे में डाला साफ दिखता है। जबकि उसके आस-पास पूरी जमीन सूखी है। पीछे से भी पानी नहीं आ रहा है। टैंकरों से गुजरात व उसके आस-पास क्षेत्र से प्रदूषित पानी लाकर पाली की नदी व अन्य जगहों पर डालने की कई घटनाएं भी कई बार सामने आई। पुनायता औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां जहां खत्म हो रही है उसके पीछे नदी में प्रदूषित पानी दिखा। यहां प्रदूषित पानी की वजह से बबूल के पेड़ तक सूख गए। यहां टैंकरों की आवाजाही के निशान भी मिट्टी पर साफ दिखाई दिए। नदी से भी वहां तक पहुंचने का कच्चा रास्ता बना है। पुनायता औद्योगिक क्षेत्र से आगे फोरलेन बाइपास पुल पर चढ़ते हैं तो यहां बरसात के पानी की निकासी के लिए पुल पर बने हॉल, पुल के नीचे की मिट्टी, पुल के नीचे की तरफ हॉल पर बने केमिकल के दाग दिखते हैं। पुल पर ये दाग भी केवल उस जगह नजर आए, जिसके ठीक नीचे से औद्योगिक इकाइयों व सीवरेज के पानी का नाला निकल रहा है।

सीईटीपी का दावा, टैंकरों के खाली होने से बढ़ता सीओडी

सीईटीपी का दावा है कि जेडएलडी प्लांट से एक बूंद पानी नदी में नहीं छोड़ा जा रहा है। जो पानी ट्रीटमेंट संख्या चार से छोड़ा जाता है, उसका सीओडी ज्यादा से ज्यादा 5 हजार हो सकता है। वह भी उस समय जब वह अनट्रीटेड हो। सीईटीपी सचिव अरुण जैन ने बताया कि सीईटीपी यूनिट छह के पीछे नदी में पानी का सीओडी लेने पर वह 400 एमजी प्रति लीटर रहा। वहां से पानी नहीं छोड़ा जाता। इसके बावजूद जोधपुर बाईपास ब्रिज पर यह बढ़कर 1520 हो जाता है। इसके आगे ट्रीटमेंट प्लांट चार का पानी मिलने पर पानी डायल्यूट होने पर सीओडी 896 हो जाता है। इसका कारण यह कि प्लांट के पानी का सीओडी मानक से परे नहीं है। इसके बाद जवड़िया ब्रिज पर पानी का सीओडी फिर बढ़कर 1504 पर पहुंच जाता है। जबकि ट्रीटमेंट प्लांट संख्या 4 के आगे इंडस्ट्री ही नहीं है। इसके बाद नेहड़ा बांध तक पहुंचने पर पानी का सीओडी डायल्यूट होने से 464 पर पहुंच जाता है। ये आंकड़े बताते है कि बाइपास पुल और जवड़िया पुल के साथ नदी में अन्य जगह पर टैंकरों आदि से अधिक प्रदूषित पानी डाला जा रहा है।