राजस्थान का चमत्कारी मंदिर! होली पर यहां खुद होली खेलने आते हैं भगवान द्वारकाधीश, रहस्य जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

पाली न्यूज़ डेस्क - राजस्थान के रोहट के झिठड़ा गांव में राधा कृष्ण के जानकीराय भगवान द्वारकाधीश का मंदिर है, जो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। मान्यता है कि होली के दूसरे दिन भगवान द्वारकाधीश स्वयं द्वारका छोड़कर झिठड़ा आते हैं। द्वारका में एक बोर्ड लगाया जाता है, जिससे पता चलता है कि भगवान आज झिठड़ा आए हैं।होली के दूसरे दिन धुलंडी के दिन भगवान द्वारकाधीश की पालकी जानकीराय मंदिर से निकलकर तालाब पर पहुंचती है। मान्यता है कि जब तालाब का जलस्तर सवा हाथ बढ़ जाता है, तो यह इस बात का संकेत है कि भगवान द्वारकाधीश झिठड़ा आ गए हैं। मेला पूरे दिन चलता है। शाम को द्वारकाधीश की सवारी वापस जानकीराय मंदिर पहुंचती है।
द्वारकाधीश झिठड़ा आते हैं
झिठड़ा में द्वारकाधीश का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि कुबाजी महाराज की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान द्वारकाधीश होली के दूसरे दिन धुलंडी के दिन कुबाजी महाराज के साथ झीटड़ा गांव आए थे। उस दिन से होली के दूसरे दिन गुजरात के द्वारकाधीश के कपाट बंद रहते हैं। इस अवसर पर झीटड़ा में मेला लगता है और रेवाड़ी निकाली जाती है। दूर-दूर से श्रद्धालु ठाकुरजी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन द्वारकाधीश झीटड़ा में होने से वह पुण्य द्वारका जाने की बजाय झीटड़ा में ही मिल जाता है।
कुबाजी को हुए थे दर्शन
कुमावत समाज में जन्मे और समाज के संत केवलप्रसाद महाराज (कुबाजी) को झीटड़ा में स्वयं जनराय भगवान ने दर्शन दिए थे। कुबाजी महाराज भगवान के भक्त थे। मिट्टी में दबे होने के बाद भी वे जीवित निकले, द्वारका न जाने के बावजूद उनके हाथ पर द्वारका का निशान अंकित हो गया। विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु द्वारकाधीश के दर्शन के लिए झिठडा पहुंचेंगे। इसके बाद मेला भरेगा। शाम को द्वारकाधीश की रेवाड़ी पुनः धूमधाम से भगवान जानकीराय मंदिर पहुंचेगी।