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वंदे मातरम सिर्फ गीत नहीं, बल्कि देश की आजादी का मंत्र है: सीएम देवेंद्र फडणवीस

नागपुर, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा हो रही है। इसको लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं है, यह भारत की आजादी का मंत्र और राष्ट्रवाद का प्रतीक है।
 
वंदे मातरम सिर्फ गीत नहीं, बल्कि देश की आजादी का मंत्र है: सीएम देवेंद्र फडणवीस

नागपुर, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा हो रही है। इसको लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं है, यह भारत की आजादी का मंत्र और राष्ट्रवाद का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, "जिस वंदे मातरम को गाते हुए कई स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी फांसी झूल गए, उसका असर आम आदमी तक स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने वाला रहा। इसलिए इस गीत के 150 साल पूरे होने पर संसद में चर्चा होना बहुत जरूरी और सही है।"

फडणवीस ने कहा कि आज हमारी विधानसभा में भी हमने सम्पूर्ण वंदे मातरम गाया और इसे सम्मान के रूप में नमन किया। अगले अधिवेशन में भी हमारे अध्यक्ष ने कहा कि वंदे मातरम पर विधानसभा में विशेष चर्चा होगी।

शिवसेना (यूबीटी) के नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे के दावे को निराधार बताते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वंदे मातरम पर कभी पाबंदी नहीं लगी, लेकिन अगर किसी समय इसे लेकर आघात हुआ या इसे आधा गाया गया, तो उसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही उस समय प्रस्ताव पारित करके वंदे मातरम का कुछ हिस्सा काट दिया था।

फडणवीस ने यह भी कहा कि आज आदित्य ठाकरे कांग्रेस के साथ गले मिलकर घूमते हैं। वंदे मातरम को लेकर आदित्य ठाकरे को भाजपा से नहीं, बल्कि कांग्रेस से सवाल करना चाहिए।

इसके अलावा, उन्होंने भाजपा के कार्यकाल की तारीफ करते हुए कहा कि भाजपा के समय वंदे मातरम को हमेशा सम्मान मिला और कभी भी इस पर कोई पाबंदी नहीं लगी। उनका कहना है कि वंदे मातरम हमारे देश की शान है और इसे सिर्फ एक गीत या राष्ट्रगान की तरह नहीं देखा जा सकता। यह हमारे देश की आजादी का संदेश और राष्ट्रवाद का प्रतीक है।

सीएम फडणवीस ने कहा कि वंदे मातरम ने हमेशा देश के लोगों को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को प्रेरित किया, इसलिए इसे मनाने और इसकी चर्चा करने का अवसर संसद और विधानसभा दोनों में होना चाहिए।

--आईएएनएस

पीआईएम/डीकेपी