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गीता पाठ को अनिवार्य करने पर उदित राज का निशाना, कहा- 'गिर सकता है शिक्षा का स्तर'

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भगवद गीता का पाठ अनिवार्य किए जाने पर विपक्ष हमलावर है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने इसकी आलोचना की और कहा कि इससे शिक्षा का स्तर गिर सकता है।
 
गीता पाठ को अनिवार्य करने पर उदित राज का निशाना, कहा- 'गिर सकता है शिक्षा का स्तर'

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भगवद गीता का पाठ अनिवार्य किए जाने पर विपक्ष हमलावर है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने इसकी आलोचना की और कहा कि इससे शिक्षा का स्तर गिर सकता है।

कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "यह गलत है। हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है। कल कुरान या बौद्ध धर्म के पंचशील को पढ़ाने की भी मांग हो सकती है। अगर कोई निजी तौर पर गीता पढ़ना चाहता है, तो वह पढ़ सकता है, लेकिन इसे स्कूल की शिक्षा का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे शिक्षा का स्तर गिर सकता है। वैसे भी भारत वैज्ञानिक समझ में बहुत पीछे है।"

उन्होंने कहा, "बच्चों के ऊपर कोई शिक्षा थोपी नहीं जानी चाहिए। जब वे 18 वर्ष के हो जाएं, तो उन्हें जो कुछ भी पढ़ना हो उसे पढ़ें। उसके बाद वे धर्माचार्य बनना चाहें, तो उससे भी किसी को कोई ऐतराज नहीं होगा। सरकारी राशि मुसलमान, गरीब, दलित, अंबेडकरवादी और बौद्ध सभी समुदायों से आती है। किसी भी एक धर्म को जनता के पैसे से बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।"

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के वोटों की दोबारा गिनती वाली टिप्पणी पर कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मैं जीतन राम मांझी को यह साफ करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस देश में चुनाव गलत तरीके से होते हैं। क्या इस देश में चुनाव का कोई मतलब है?"

दरअसल, जीतन राम मांझी ने हाल ही में पार्टी के एक कार्यक्रम में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी को राज्यसभा की सीट नहीं मिली तो वे गठबंधन से अलग हो जाएंगे।

मांझी ने कहा था कि यदि इस बार उन्हें राज्यसभा की सीट नहीं मिली, तो वे न केवल मंत्री पद छोड़ देंगे, बल्कि गठबंधन से भी नाता तोड़ने के लिए तैयार हैं। लोकसभा चुनाव के समय राज्यसभा सीट देने का वादा किया गया था, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया। इस पर हम अब चुप नहीं बैठेंगे।

--आईएएनएस

एससीएच/एबीएम