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यूपी में एसआईआर के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट 9 दिसंबर को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए दिए गए समय को बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा। यह याचिका भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) आजाद ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें मतदाता सूची के संशोधन के लिए कम से कम तीन महीने का अतिरिक्त समय देने की मांग की गई है।
 
यूपी में एसआईआर के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट 9 दिसंबर को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए दिए गए समय को बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा। यह याचिका भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) आजाद ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें मतदाता सूची के संशोधन के लिए कम से कम तीन महीने का अतिरिक्त समय देने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में सिर्फ 4 हफ्ते में एसआईआर पूरा करना प्रशासनिक रूप से पूरी तरह असंभव है। राज्य में कुल 15.35 करोड़ मतदाता हैं। इतने कम समय में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी। इससे लाखों-करोड़ों लोगों के नाम मतदाता सूची से कट जाने का गंभीर खतरा है।

बीकेयू आजाद ट्रस्ट ने बताया कि उसने इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखकर एसआईआर के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई जवाब या कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि इतने बड़े स्तर पर मतदाता सूची का संशोधन करने के लिए बीएओ (बूथ लेवल ऑफिसर), पर्यवेक्षक और अन्य कर्मचारियों को घर-घर जाकर सत्यापन करना पड़ता है। सिर्फ 4 हफ्ते में यह काम पूरा करना व्यावहारिक नहीं है। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां जागरूकता कम है और लोग बाहर काम करने गए होते हैं, वहां यह अभियान और मुश्किल हो जाता है।

ट्रस्ट का कहना है कि अगर समय नहीं बढ़ाया गया तो बड़ी संख्या में योग्य मतदाताओं के वोटिंग के अधिकार से वंचित होने की आशंका है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा।

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में एसआईआर की तारीख 1 दिसंबर 2025 से शुरू करके 6 जनवरी 2026 तक रखी है। अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इसकी समय-सीमा बढ़ाई जाए या नहीं।

--आईएएनएस

एसएचके/वीसी