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अंडरवाटर मिशन के लिए नौसेना का स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना ने मंगलवार को अपने स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट डीएससी ए-20 को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह नौसैनिक पोत स्वदेशी निर्माण का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह पोत तटीय क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के डाइविंग ऑपरेशन्स में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, अंडरवाटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी कार्यों के लिए यह विशेष रूप से विकसित किया गया है। इसमें उन्नत कैटामरन डिजाइन और अत्याधुनिक प्रणालियां शामिल हैं।
 
अंडरवाटर मिशन के लिए नौसेना का स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना ने मंगलवार को अपने स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट डीएससी ए-20 को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह नौसैनिक पोत स्वदेशी निर्माण का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह पोत तटीय क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के डाइविंग ऑपरेशन्स में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, अंडरवाटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी कार्यों के लिए यह विशेष रूप से विकसित किया गया है। इसमें उन्नत कैटामरन डिजाइन और अत्याधुनिक प्रणालियां शामिल हैं।

भारतीय नौसेना के मुताबिक, इस पोत के डिजाइन फेज के दौरान विशाखापत्तनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी में इसके हाइड्रोडायनामिक विश्लेषण एवं मॉडल परीक्षण किए गए हैं। नौसेना के अनुसार कोच्चि में मंगलवार को यह जहाज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ। यह ऐतिहासिक क्षण दक्षिणी नौसेना कमान के तत्वावधान में आयोजित हुआ। यहां दक्षिणी नौसेना कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल समीर सक्सेना की उपस्थिति में जहाज का कमीशनिंग समारोह सम्पन्न किया गया।

नौसेना में शामिल किया गया यह स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट, पांच डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट की श्रृंखला का पहला पोत है। इसका निर्माण कोलकाता स्थित टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड ने किया है। नौसेना के अनुसार, यह पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और स्वदेशी तकनीक से निर्मित किया गया है। पोत का निर्माण इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग की नौसैनिक नियमावली के अनुरूप किया गया है। इसके प्रदर्शन और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी, विशाखापट्टनम में विस्तृत हाइड्रोडायनामिक विश्लेषण और मॉडल परीक्षण किए जा चुके हैं।

इस पोत की एक प्रमुख विशेषता इसका कैटामरन हुल डिजाइन है, जो इसे अधिक स्थिरता प्रदान करता है। यह बेहतर सी-कीपिंग, यानी समुद्री परिस्थितियों में ऑपरेशन की क्षमता में निपुण है। इसका बड़ा डेक एरिया सुविधाएं प्रदान करता है। नौसेना के मुताबिक, लगभग 390 टन विस्थापन वाले इस पोत में विश्व-स्तरीय डाइविंग सिस्टम लगाए गए हैं। ये डाइविंग सिस्टम सुरक्षा और परिचालन क्षमता के सर्वोच्च मानकों पर खरे उतरते हैं।

बता दें कि कुछ पांच डाइविंग स्पोर्ट क्राफ्ट के निर्माण हेतु रक्षा मंत्रालय और टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड, कोलकाता के बीच 12 फरवरी 2021 को अनुबंध संपन्न हुआ था। अत्याधुनिक डाइविंग उपकरणों से सुसज्जित यह पोत जल के नीचे मरम्मत एवं निरीक्षण, बंदरगाहों की सफाई (हार्बर क्लीयरेंस) तथा तटीय जलक्षेत्रों में महत्वपूर्ण डाइविंग अभियानों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

नौसेना के मुताबिक, डीएससी ए 20 की कमीशनिंग भारतीय नौसेना की स्वदेशी जहाज निर्माण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को सुदृढ़ करती है। भारतीय नौसेना में इस प्रकार के विशेषीकृत प्लेटफॉर्म्स का स्वदेशी निर्माण देश की बढ़ती घरेलू क्षमताओं, आत्मनिर्भरता तथा आयात पर निर्भरता में कमी का सशक्त प्रमाण भी है।

--आईएएनएस

जीसीबी/डीकेपी