उदय प्रकाश बर्थडे : हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार, जिनकी कलम ने बड़ी सहजता से समाज को दिखाया आईना
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। कुछ लोग लिखते हैं, और कुछ लोग लिखते हुए अपने समय की नब्ज पकड़ लेते हैं। उनकी भाषा में सिर्फ शब्द नहीं होते, बल्कि सड़कों की धूल, कस्बों की बेचैनी, शहरों की चकाचौंध और आम आदमी की थकान भी शामिल होती है। ऐसे रचनाकार बहुत कम होते हैं, जो कहानी कहते हुए समाज से सवाल भी पूछते हैं और पाठक को आईना भी दिखा देते हैं। आज हम ऐसे ही एक रचनाकार की बात कर रहे हैं, जिनकी कलम ने हिंदी साहित्य को अलग ही तेवर दिए हैं।
हम बात कर रहे हैं चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार उदय प्रकाश की। उदय प्रकाश का नाम आते ही सबसे पहले जो बात याद आती है, वह है उनकी बेबाकी। उनकी रचनाएं कभी आरामदेह नहीं होतीं, वे आपको झकझोरती हैं। वे सत्ता, बाजार, मीडिया और समाज के उन हिस्सों पर उंगली रखते हैं, जिन पर अक्सर लोग नजर फेर लेते हैं। उनकी कहानियों में चमकदार सपनों के पीछे छिपी कड़वी सच्चाइयां साफ दिखाई देती हैं।
उदय प्रकाश का जन्म 1 जनवरी 1952 को मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के छोटे-से गांव सीतापुर में हुआ। बचपन गांव में बीता, वहीं की मिट्टी, लोग और संघर्ष उनकी रचनाओं की जड़ों में बसे दिखाई देते हैं। शुरुआती पढ़ाई भी गांव में ही हुई। आगे चलकर उन्होंने विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की और फिर सागर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की, वह भी स्वर्ण पदक के साथ।
1975-76 के दौरान वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शोध छात्र रहे। यह वही दौर था, जब देश में राजनीतिक उथल-पुथल थी। कम्युनिस्ट पार्टी को समर्थन देने के आरोप में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हालांकि बाद में सक्रिय राजनीति से उनका मोहभंग हो गया, लेकिन सत्ता और व्यवस्था के खिलाफ सवाल उठाने की आग उनकी लेखनी में लगातार जलती रही।
उदय प्रकाश की खासियत यह है कि वे सिर्फ एक विधा तक सीमित नहीं रहे। वे कवि हैं, कथाकार हैं, पत्रकार हैं और फिल्मकार भी। उनकी कविताएं जैसे सुनो कारीगर, रात में हारमोनियम और अबूतर कबूतर आम आदमी की आवाज लगती हैं। वहीं उनकी कहानियां जैसे पीली छतरीवाली लड़की, मोहनदास, तिरिछ और दत्तात्रेय के दुःख हिंदी कथा साहित्य की दिशा ही बदल देती हैं। ये कहानियां सत्ता, पूंजी और आम आदमी के बीच के टकराव को बहुत सादगी, लेकिन गहरी चोट के साथ सामने रखती हैं।
उनकी रचनाओं की पहुंच सिर्फ हिंदी तक सीमित नहीं रही। उनकी कुछ रचनाओं के अंग्रेजी, जर्मन, जापानी सहित कई अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। लगभग सभी भारतीय भाषाओं में उन्हें पढ़ा जाता है। कई कहानियों के नाट्य रूपांतरण हुए और मंचन भी खूब सराहा गया। मोहनदास और उपरांत पर बनी फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला।
फिल्म और टेलीविजन के क्षेत्र में भी उदय प्रकाश ने अर्थपूर्ण काम किया। उन्होंने टीवी धारावाहिकों का निर्देशन और स्क्रिप्ट लेखन किया, विजयदान देथा की कहानियों पर चर्चित लघु फिल्में बनाईं और भारतीय कृषि के इतिहास पर आधारित 'कृषि-कथा' जैसा महत्वपूर्ण धारावाहिक राष्ट्रीय चैनल के लिए निर्देशित किया।
उदय प्रकाश को मिले सम्मानों की सूची भी लंबी है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, मुक्तिबोध सम्मान, श्रीकांत वर्मा पुरस्कार, रूस का पूश्किन सम्मान, कृष्णबलदेव वैद सम्मान और कई अन्य पुरस्कार मिले।
--आईएएनएस
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