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शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में 'विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025' पेश किया

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में "विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025" पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य प्रभावी समन्वय और मानकों के निर्धारण के माध्यम से भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाना है।
 
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में 'विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025' पेश किया

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में "विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025" पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य प्रभावी समन्वय और मानकों के निर्धारण के माध्यम से भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का निर्माण व्यापक राष्ट्रव्यापी परामर्शों के माध्यम से किया गया था और अध्याय 18 में परिकल्पित प्रावधानों के अनुसार, यह उच्च शिक्षा विनियामक प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन का आह्वान करती है।

एनईपी मसौदा समिति के अध्यक्ष और इसरो के पूर्व अध्यक्ष, लेफ्टिनेंट डॉ. के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में, यह नीति एक समग्र और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण से निर्देशित है, जो भारतीय मूल्यों पर आधारित शैक्षणिक स्वायत्तता, बहुविषयक शिक्षा, अनुसंधान उत्कृष्टता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर बल देती है।

इस समावेशी परामर्श प्रक्रिया के आधार पर विधेयक तैयार किया गया है और इसमें वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें सावधानीपूर्वक अध्ययन करके भारतीय उच्च शिक्षा संदर्भ में उपयुक्त रूप से अनुकूलित किया गया है। यह डॉ. कस्तूरीरंगन के न्यायसंगत, लचीली और नवाचार-संचालित शिक्षा प्रणाली के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 दिसंबर को इस विधेयक को संसद में पेश करने के लिए मंजूरी दी। यह विधेयक भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत संघ सूची की प्रविष्टि 66 के प्रावधानों के तहत पेश किया जा रहा है, जिसमें "उच्च शिक्षा या अनुसंधान संस्थानों और वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों में समन्वय और मानकों के निर्धारण" का प्रावधान है।

विधेयक में 'विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान' की स्थापना एक सर्वोच्च निकाय के रूप में करने का प्रावधान है। इसके साथ ही तीन परिषदों की स्थापना की जाएगी: विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद (नियामक परिषद), विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद (मान्यता परिषद) और विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद (मानक परिषद)।

विधेयक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अधिनियम (एआईटीसी), और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद अधिनियम (एनसीटीई) को निरस्त करने का भी प्रावधान है। शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई के अंतर्गत आने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थान मानकों के निर्धारण के लिए 'विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान' के दायरे में होंगे।

राष्ट्रीय नीति अधिनियम, 2020 में परिकल्पित अनुसार, वास्तुकला परिषद (सीओए) एक व्यावसायिक मानक निर्धारण निकाय (पीएसएसबी) के रूप में कार्य करेगी। विधेयक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को दी गई स्वायत्तता के वर्तमान स्तर को बनाए रखने को सुनिश्चित करता है।

इस प्रस्तावित विधेयक के प्रमुख परिणाम में युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अकादमिक उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही छात्रों में आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देगा। छात्र शैक्षणिक गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे, शासन और समग्र शिक्षण अनुभव पर संरचित प्रतिक्रिया के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग और मूल्यांकन में सक्रिय रूप से योगदान देंगे, जिससे जवाबदेही और निरंतर सुधार सुनिश्चित होगा।

--आईएएनएस

एएमटी/पीएसके