संसद से शांति विधेयक का पारित होना एक महत्वपूर्ण व परिवर्तनकारी क्षण: पीएम मोदी
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। गुरुवार को राज्यसभा से पारित होने के साथ ही परमाणु ऊर्जा से जुड़ा 'द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल 2025', यानी शांति विधेयक, 2025, दोनों सदनों से पास हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति विधेयक के पारित होने पर खुशी जताई है। बता दें कि विधेयक बुधवार को संसद के निचले सदन लोकसभा से पास हो चुका है। इसके बाद अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद पूर्ण रूप से कानून का रूप ले लेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि संसद के दोनों सदनों द्वारा शांति विधेयक का पारित होना हमारे प्रौद्योगिकी परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी क्षण है। इसके पारित होने में सहयोग देने वाले सांसदों के प्रति मेरी कृतज्ञता। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को सुरक्षित रूप से संचालित करने से लेकर हरित विनिर्माण को सक्षम बनाने तक, यह विधेयक देश और विश्व के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को निर्णायक गति प्रदान करता है। यह निजी क्षेत्र और हमारे युवाओं के लिए भी अनेक अवसर खोलता है। भारत में निवेश करने, नवाचार करने और विकास करने का यह सबसे उपयुक्त समय है।
इससे पहले केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को संसद में बताया कि यह विधेयक निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए परमाणु उद्योग के द्वार खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका उद्देश्य 2047 तक देश को 100 गीगावाट (जीडब्ल्यू) परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने में मदद करना है।
विधेयक भारत की वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप एक व्यापक कानून लाने का प्रयास करता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए देश के रोडमैप की रूपरेखा दी गई है। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, विधेयक स्वदेशी परमाणु संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करने और सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देता है, साथ ही भारत को वैश्विक परमाणु ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में एक योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करता है।
यह विधेयक स्वास्थ्य सेवा, खाद्य एवं कृषि, उद्योग और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में परमाणु और विकिरण प्रौद्योगिकियों के उपयोग को विनियमित करने का प्रयास करता है, जबकि अनुसंधान, विकास और नवाचार गतिविधियों को लाइसेंसिंग आवश्यकताओं से छूट देता है।
--आईएएनएस
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