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रांची में सीआईपी की 147 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा, हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य से चार हफ्ते में मांगा जवाब

रांची, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआईपी) की बहुमूल्य भूमि से अतिक्रमण हटाने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी जताई है।
 
रांची में सीआईपी की 147 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा, हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य से चार हफ्ते में मांगा जवाब

रांची, 24 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआईपी) की बहुमूल्य भूमि से अतिक्रमण हटाने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी जताई है।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने बुधवार को इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अत्यंत चौंकाने वाला है कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा के जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में सोए रहे और उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की पहल पर जागना पड़ा, जो बिहार का निवासी है।

अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सीआईपी की जमीन से अतिक्रमण हटाने से जुड़ा यह प्रकरण किसी अन्य अदालत या प्राधिकरण के समक्ष नहीं ले जाया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को निर्धारित की गई है। यह जनहित याचिका बिहार निवासी विकास उर्फ गुड्डू बाबा द्वारा दायर की गई है।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने 19 नवंबर 2025 के पूर्व आदेश का हवाला दिया। कोर्ट ने बताया कि उक्त आदेश में सीआईपी की भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी और दो सप्ताह के भीतर सीमांकन कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे।

हालांकि, भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा दाखिल शपथपत्र से यह सामने आया कि सीआईपी के वास्तविक कब्जे में केवल 229.29 एकड़ भूमि है, जबकि सीआईपी प्रबंधन के अनुसार संस्थान के नाम कुल 376.222 एकड़ भूमि दर्ज है।

इस तरह लगभग 147 एकड़ भूमि का कोई स्पष्ट विवरण सामने नहीं आने से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की आशंका जताई गई।

कोर्ट ने इस स्थिति को गंभीर बताया और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए। अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि शपथपत्र में केवल सीआईपी के मुख्य गेट के पास से अतिक्रमण हटाने की जानकारी दी गई है, जबकि अन्य स्थानों पर हुए अतिक्रमण को लेकर कोई ठोस और स्पष्ट विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने इसे अपने आदेशों के पालन में गंभीर लापरवाही करार दिया और मामले को अत्यंत संवेदनशील बताते हुए सख्त रुख अपनाया।

--आईएएनएस

एसएनसी/डीकेपी