राहुल गांधी लीडर ऑफ अपोजिशन नहीं, बल्कि लीडर ऑफ पलायन हैं : शहजाद पूनावाला
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। इस दौरान राहुल गांधी पर पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा और भागने का आरोप लगाया। साथ ही विपक्ष और राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगातार लगाए जा रहे आरोपों पर भी अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों से और खासकर विपक्ष के मित्रों से एक विनम्र आह्वान किया था कि संसद, जिसे हम लोकतंत्र का मंदिर मानते हैं, उसमें ड्रामा को नहीं, डिलीवरी को तरजीह दी जानी चाहिए, व्यवधान को नहीं, चर्चा को तरजीह दी जानी चाहिए, नारे को नहीं, नीति और नीयत को तरजीह दी जानी चाहिए। मुझे लगता है कि इतनी अच्छी सलाह का कोई असर विपक्ष के कई मित्रों पर हुआ ही नहीं है और इसीलिए शीतकालीन सत्र को अगर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से किसी एक चीज के लिए लगातार याद रखा जाएगा, तो उसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
प्रेस वार्ता के दौरान शहजाद पूनावाला ने कहा कि एसआईआर को लेकर संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा के दौरान बहस भी जारी है। विपक्ष लगातार सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहा है। जब बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह एसआईआर पर विपक्ष को एक-एक सवाल का जवाब दे रहे थे, तो राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी सांसद बहिष्कार करके बाहर चले गए।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी के तीन बंदर थे: बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो और बुरा मत सुनो। आज आधुनिक काल में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भी तीन राजनैतिक सांकेतिक बंदर हैं। ये तीन बंदर राहुल गांधी की उस प्रवृत्ति को दर्शाते हैं कि सच मत बोलो, सच मत सुनो और सच मत देखो।
उन्होंने कहा कि बुधवार को संसद में जो चुनाव सुधार को लेकर विस्तृत चर्चा हुई, उसमें राहुल गांधी ने इन्हीं तीन बंदरों का उदाहरण पेश करते हुए बता दिया कि राहुल गांधी न सच सुनने को तैयार थे, राहुल गांधी न सच देखने को तैयार थे और राहुल गांधी न सच बोलने को तैयार थे।
शहजाद पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी शायद सच बोलने और उस पर टिके रहने की फिलॉसफी में विश्वास नहीं करते। इसीलिए उन्होंने एलओपी शब्द को एक नया मतलब दिया है। उनके लिए यह लीडर ऑफ अपोजिशन नहीं, बल्कि लीडर ऑफ पलायन है। उन्होंने संसद में चर्चा की मांग की, लेकिन जैसे ही उनके प्रोपेगेंडा का तथ्यों के साथ जवाब दिया गया, उन्होंने सदन से बाहर जाना चुना और एक बार फिर खुद को लीडर ऑफ पलायन साबित कर दिया। राफेल, सेना, एचएएल, एलआईसी और एसबीआई जैसी संस्थाओं पर भरपूर प्रोपेगेंडा फैलाना ही राहुल गांधी का काम है, लेकिन जब चर्चा की बारी आती है तो वे वहां से चले जाते हैं। इसलिए वह लीडर ऑफ प्रोपेगेंडा तो हैं ही।
शहजाद ने आगे कहा, "संसद में पहले आप चर्चा की मांग करो, चर्चा के लिए चुनौती दो आप और जब चर्चा में आपको जवाब मिले, बिंदुवार तरीके से आपके जो झूठ के बम हैं, वह डिफ्यूज हो जाएं और आपके एक के बाद एक झूठ के ऊपर से पर्दाफाश होता जाए, तो आप एलओपी लीडर ऑफ पलायन बनकर के संसद से भाग जाओ।"
उन्होंने कहा कि डरो मत, हम कहते हैं कि राहुल गांधी भागो मत। आप तो संसद छोड़कर ही भाग गए। तो इनको सच नहीं देखना है, सच नहीं बोलना है और सच नहीं सुनना है।
इस दौरान राहुल गांधी के लिए पूनावाला के लिए कुछ पंक्तियां भी सुनाई। उन्होंने कहा, 'ता उम्र राहुल गांधी रिमेंस इन डेलुलू (डिल्यूजन), इनका कोई नहीं बचा सोलुलू (सॉल्यूशन), चुनाव के समय जाएंगे कोलंबिया से होलुलू, चुनाव हारने पर बोलेंगे इलेक्शन कमीशन व्हाट डिड यू डू।'
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी 4डी फॉर्मूले पर काम करते हैं, जिसमें पहले डी से इलेक्शन में डिफीट, फिर डायवर्ट, डिस इंफॉर्मेशन और डेफिसिट ऑफ ट्रस्ट। इतना ही नहीं, अब राहुल गांधी सदन में खड़े होकर धमकी देने पर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार हमेशा से संविधान का अपमान करता रहा है। ये अपने आप को संसद, संविधान और हर संवैधानिक संस्था से ऊपर समझते हैं।
--आईएएनएस
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