नाभि के ऊपर और नीचे की चर्बी: दो अलग-अलग फैट, दोनों के कारण भी अलग
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। पेट की चर्बी सिर्फ 'पेट निकल आया' कहने तक सीमित नहीं होती। इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं। नाभि के ऊपर और नीचे जमा फैट अलग-अलग तरह का होता है और बनने के कारण भी अलग हैं।
ऊपरी पेट की चर्बी, जिसे विसरल फैट कहते हैं, मुख्यतः तनाव और कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ने की वजह से जमा होती है। ज्यादा चाय-कॉफी पीना, देर रात तक जागना, वसायुक्त खाद्य पदार्थ खाना और गैस-एसिडिटी इसे बढ़ाते हैं। यह फैट दिल, हाई बीपी और डायबिटीज जैसी बीमारियों का बड़ा कारण बन सकता है।
वहीं, निचले पेट की चर्बी हार्मोनल असंतुलन, कम सक्रिय जीवनशैली और कमजोर पाचन से जुड़ी होती है। महिलाओं में अक्सर एस्ट्रोजन असंतुलन और पुरुषों में बैठकर काम करना और रात में भारी भोजन लेना इसे बढ़ाता है। यह कब्ज, ब्लोटिंग, कमरदर्द और थकान जैसी परेशानियां बढ़ा सकती हैं।
आयुर्वेद में कहा गया है कि ऊपर की पित्त-वात असंतुलन और नीचे की चर्बी कफ संचय का संकेत देती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इसे कंट्रोल किया जा सकता है। रात को सोने से 1 घंटे पहले गुनगुना पानी पीना निचले पेट की गैस और फैट कम करने में मदद करता है। सुबह खाली पेट जीरा, धनिया और सौंफ का पानी पीने से कोर्टिसोल कम होता है और ऊपर की चर्बी तेजी से पिघलने लगती है। नाभि के आसपास 5 मिनट का घी मसाज ब्लोटिंग घटाता है और पेट के निचले हिस्से की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
दिन में भोजन के बाद वज्रासन में 5-10 मिनट बैठना, और तनाव कम करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम करना भी ऊपरी पेट की चर्बी घटाने में असरदार है। रात का खाना 8 बजे से पहले हल्का खाना पेट को डिटॉक्स मोड में ले जाता है और पेट के निचले हिस्से की चर्बी कम करता है।
आयुर्वेद में यह भी बताया गया है कि त्रिकटु चूर्ण, त्रिफला और कच्चा पपीता पाचन तेज करते हैं, ब्लोटिंग घटाते हैं और जिद्दी फैट बर्न करने में मदद करते हैं।
--आईएएनएस
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