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जो महापुरुष उनके नहीं, उन्हें भी भाजपा अपनाना चाहती है : अखिलेश यादव

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा चल रही है। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर सबकुछ अपनाने का आरोप लगाया।
 
जो महापुरुष उनके नहीं, उन्हें भी भाजपा अपनाना चाहती है : अखिलेश यादव

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा चल रही है। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर सबकुछ अपनाने का आरोप लगाया।

लोकसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "वंदे मातरम के 150 वर्ष के होने के उपलक्ष्य में हम राष्ट्रीय गीत को सदन में याद कर रहे हैं। हमें इस बात का गर्व है। हम इस मौके पर बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को भी याद करें, जिन्होंने इतना शानदार गीत राष्ट्र को दिया, जिसने लाखों-लाख लोगों को जागृत किया और उनके बीच उत्साह भरा।"

उन्होंने कहा, "आजादी के उस समय पर, जिस समय अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही थी, वंदे मातरम हमें ऊर्जा और ताकत देता था। वंदे मातरम हमें एकजुट करके अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का माध्यम बनता था। जब कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया, उसके बाद इसकी आम लोगों के बीच भी पहुंच हो गई। जब भी लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ना होता था, तब वंदे मातरम का नारा देकर लोगों को जोड़ने का काम किया जाता था। हमारा कोई भी आंदोलन रहा हो, उसमें हम सभी इस नारे के साथ चले।"

अखिलेश यादव ने कहा, "वंदे मातरम को लेकर हमने लोगों को इतना एकजुट कर दिया कि अंग्रेज उससे घबराने लगे। जहां भी अंग्रेज देखते थे कि यह नारा लगाया जा रहा है, वहां पर लोगों के ऊपर देशद्रोह का कानून लगाकर जेल भेज देते थे। जिस समय बंगाल में बच्चों ने अपने क्लासरूम में यह गीत गाया, उस समय भी अंग्रेजों ने उनके खिलाफ मुकदमा लगाकर जेल भेजने का काम किया। वंदे मातरम को अंग्रेजों ने बैन भी कर दिया, लेकिन हमारे लोगों ने इसे नहीं माना और जनता के बीच इसे आगे बढ़ाते रहे।"

सपा अध्यक्ष ने कहा, "भाजपा बहुत कुछ अपनाना चाहती है। जब हम इस खास मौके पर वंदे मातरम को याद कर रहे हैं, तो सत्ता पक्ष की भारतीय जनता पार्टी में हमें समय-समय पर देखने को मिलता है कि जो महापुरुष उनके नहीं हैं, उन्हें वे अपनाना चाहते हैं। उनकी पार्टी का जिस समय गठन हो रहा था, उस समय उनके अध्यक्ष को जो पहला भाषण देना था, उस पर भी बहस चल रही थी। बहस इस बात की थी कि उनकी पार्टी सेक्युलर रास्तों पर जाएगी या नहीं। तमाम विरोध के बाद जब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे, तो उन्होंने भाषण में समाजवादी आंदोलन, समाजवादी और सेक्युलर विचारधारा अपनाई।"

--आईएएनएस

एससीएच/एबीएम