Aapka Rajasthan

झारखंड के मछुआरों का बड़ा केंद्र है गढ़वा, जिला मत्स्य अधिकारी ने बताए आंकड़े

गढ़वा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने झारखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सात बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इनमें से पांच पहल गढ़वा जिले में शुरू की गई हैं। यहां मछली पालन से जुड़े लोगों की संख्या बहुत है। ऐसे में इन नए प्रोजेक्ट्स से मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा, मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और स्थानीय समुदायों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।
 
झारखंड के मछुआरों का बड़ा केंद्र है गढ़वा, जिला मत्स्य अधिकारी ने बताए आंकड़े

गढ़वा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने झारखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सात बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है। इनमें से पांच पहल गढ़वा जिले में शुरू की गई हैं। यहां मछली पालन से जुड़े लोगों की संख्या बहुत है। ऐसे में इन नए प्रोजेक्ट्स से मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा, मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और स्थानीय समुदायों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।

जिला मत्स्य अधिकारी धनराज कापसे ने बताया कि झारखंड में कुल मिलाकर करीब 1,88,000 यानी लगभग 2 लाख रजिस्टर्ड मछुआरे हैं और इनमें से एक बड़ा हिस्सा गढ़वा और पलामू में रहता है। गढ़वा की बात करें तो यहां लगभग 7,880 मछुआरे या मछली पालन से जुड़े लोग रजिस्टर्ड हैं। ये लोग चाहे मछुआरा समुदाय से आते हों या मछली पालन के अन्य काम में जुड़े हों, उनके लिए दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।

सरकार की यह पहल सिर्फ मछली पालन को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य है कि गढ़वा जैसे पिछड़े जिलों में रोजगार के अवसर बढ़ें, मछुआरे आत्मनिर्भर बनें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो। केंद्रीय मत्स्य पालन विभाग और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) के तहत ये प्रोजेक्ट्स संचालित किए जा रहे हैं।

इन प्रोजेक्ट्स से मछली पालन का व्यवसाय न केवल बड़े पैमाने पर बढ़ेगा, बल्कि छोटे किसानों और मछुआरों को भी फायदा मिलेगा। इससे स्थानीय बाजारों में मछली की उपलब्धता बढ़ेगी और मछुआरों की आमदनी में सुधार आएगा। इसके अलावा, युवाओं को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे और लोग शहरों की ओर पलायन करने के बजाय अपने गांव में ही रोजगार कर पाएंगे।

सरकार की कोशिश यह भी है कि मछली पालन के आधुनिक तरीके और तकनीक छोटे मछुआरों तक पहुंचें, जैसे कि तालाब निर्माण, फीडिंग तकनीक और विपणन के नए तरीके। इससे मछली पालन को एक स्थायी व्यवसाय के रूप में विकसित किया जा सकेगा।

--आईएएनएस

पीआईएम/एबीएम