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जन्मदिन विशेष: आर पी सिंह अपने करियर के स्वर्णिम आगाज को अंजाम तक नहीं पहुंचा सके

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम में बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों की हमेशा कमी रही है। जहीर खान और आशीष नेहरा ने अपने समय में इस कमी की अच्छी तरह भरपाई की थी। इन दोनों की मौजूदगी में ही भारतीय टीम में बाएं हाथ के एक और तेज गेंदबाज, आर पी सिंह, ने मजबूती से भारतीय टीम में जगह बनाई और एक समय अवधि में बड़ी सफलता हासिल की।
 
जन्मदिन विशेष: आर पी सिंह अपने करियर के स्वर्णिम आगाज को अंजाम तक नहीं पहुंचा सके

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम में बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों की हमेशा कमी रही है। जहीर खान और आशीष नेहरा ने अपने समय में इस कमी की अच्छी तरह भरपाई की थी। इन दोनों की मौजूदगी में ही भारतीय टीम में बाएं हाथ के एक और तेज गेंदबाज, आर पी सिंह, ने मजबूती से भारतीय टीम में जगह बनाई और एक समय अवधि में बड़ी सफलता हासिल की।

6 दिसंबर 1985 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश में जन्मे आर पी सिंह का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम रुद्र प्रताप सिंह है। रुद्र बचपन से ही एक क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे। वह बाएं हाथ के बेहद प्रभावी गेंदबाज थे। उनकी गेंदों में तेजी के साथ ही स्विंग थी जो बल्लेबाजों को अक्सर परेशान किया करती थी। इस वजह से घरेलू और अंडर-19 क्रिकेट में आर पी सिंह को बड़ी सफलता मिली।

2004 में बांग्लादेश में हुए अंडर-19 विश्व कप में उनका प्रदर्शन शानदार रहा था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्रॉफी में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन का इनाम उन्हें 2005 में मिला, जब उन्हें भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया।

डेब्यू के बाद अगले कुछ सालों तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एमएस धोनी की कप्तानी वाली भारतीय टीम में मुख्य गेंदबाज के तौर पर उभरे।

2007 में भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका में खेला गया पहला टी20 विश्व कप जीता था। आर पी सिंह की इसमें अहम भूमिका रही थी। सिंह 7 मैचों में 12 विकेट लेकर टूर्नामेंट के दूसरे सफल गेंदबाज थे। टी20 विश्व कप के अगले दो साल तक आर पी सिंह ने भारत के लिए लगातार खेला।

2009 के बाद से उनकी फॉर्म और फिटनेस में लगातार गिरावट आने लगी और फलस्वरुप उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। वह वनडे विश्व कप 2011 का हिस्सा भी नहीं बन सके। इंजरी की वजह से जहीर खान के टीम से बाहर होने के बाद उन्हें 2011 सितंबर-अक्टूबर में आखिरी बार भारतीय टीम में मौका मिला था। सीरीज में वह प्रभावहीन रहे और उसके बाद उन्हें फिर मौका नहीं मिला।

2005 से 2011 के बीच आर पी सिंह ने 14 टेस्ट में 40, 58 वनडे में 69, और 10 टी20 मैचों में 15 विकेट लिए। आर पी सिंह ने 2018 में संन्यास ले लिया था। आईपीएल के 82 मैचों में उन्होंने 90 विकेट लिए। संन्यास के बाद वह कमेंट्री में सक्रिय रहे। फिलहाल वह भारतीय टीम के चयनकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं।

आर पी सिंह एक बड़ी संभावना थे, लेकिन उनका करियर जितनी तेजी से सफलता की ऊंचाई पर गया उतनी ही तेजी से नीचे भी आया।

--आईएएनएस

पीएके