आईपीएस रूपी रेल से उतरा हूं, अभी यात्रा खत्म नहीं हुई है : सेवानिवृत डीजीपी ओ.पी. सिंह
चंडीगढ़, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। हरियाणा पुलिस के महानिदेशक ओ.पी. सिंह बुधवार को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त हो गए। करीब 34 वर्षों तक पुलिस सेवा में रहने के बाद साल का अंतिम दिन उनका आखिरी कार्यदिवस रहा। इस मौके पर ओ.पी. सिंह ने सोशल मीडिया पर पुलिस बल के नाम एक भावुक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पूरे सफर, उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की उम्मीदों का जिक्र किया।
ओ.पी. सिंह ने अपने पत्र की शुरुआत नए साल की शुभकामनाओं के साथ की। उन्होंने हरियाणा पुलिस के जवानों और अधिकारियों को 2026 के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बीते वर्ष 2025 में पुलिस बल ने बेहतरीन काम किया है। 2025 में 2024 की तुलना में मानव और संपत्ति के खिलाफ अपराधों में कमी दर्ज की गई है। कमजोर और वंचित वर्ग पहले की तुलना में कम निशाना बने हैं। ड्रग्स और आर्म्स एक्ट के मामलों में ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं और यह सब पुलिसकर्मियों की सक्रियता और मेहनत का नतीजा है।
हालांकि, उन्होंने आने वाले समय को लेकर आगाह भी किया। ओ.पी. सिंह के मुताबिक 2026 में चुनौतियां और बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि 2025 के कम अपराध आंकड़ों को अब बेसलाइन माना जाएगा, ऐसे में आगे अपराध के आंकड़ों पर सवाल उठेंगे और शोर भी मचेगा। इससे निपटने का सिर्फ एक ही रास्ता है अधिक से अधिक पुलिसकर्मियों को अपराध रोकने के काम में लगाना, हिंसक अपराधियों के पीछे लगातार और व्यवस्थित तरीके से कार्रवाई करना, संगठित अपराधियों का डटकर मुकाबला करना और क्राइम प्रिवेंशन पर पूरा जोर देना।
उन्होंने साइबर अपराध, संगठित अपराध और नशे के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज के दौर में अपराध के तरीके बदल रहे हैं, इसलिए पुलिसिंग को और ज्यादा प्रभावी, तकनीकी और संवेदनशील बनाना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि हरियाणा पुलिस इस चुनौती पर भी खरी उतरेगी।
ओ.पी. सिंह ने अपने निजी सफर को भी बेहद खूबसूरत अंदाज में शब्दों में पिरोया। उन्होंने लिखा कि साल 1992 में वे 'आईपीएस रूपी रेल' में सवार हुए थे और उसी दिन तय था कि उनका स्टॉप 31 दिसंबर 2025 होगा। उन्हें हमेशा पता था कि एक दिन यह सफर खत्म होगा और आज वही दिन है। उन्होंने अंग्रेजी कवि अल्फ्रेड टेनिसन की कविता 'उलिसस' की पंक्ति का अंश लिखा, "मैं उन सभी का हिस्सा हूं, जिनसे मैं मिला हूं।"
उन्होंने कहा कि इस लंबी यात्रा में जो भी लोग उन्हें मिले, वे सब उनकी यादों का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें सेवानिवृत्ति शब्द से परहेज है। उनके मुताबिक आईपीएस की ट्रेन से उतरना यात्रा का अंत नहीं है। जब तक जीवन है, तब तक कुछ सार्थक और उपयोगी करते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने हिंसक अपराधियों और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। स्पोर्ट्स डायरेक्टर के रूप में 'प्ले फॉर इंडिया' कार्यक्रम के जरिए लाखों बच्चों को खेलों से जोड़ा। जिला मैराथन, राहगीरी, एंटी-ड्रग अभियान, साइबर क्राइम प्रिवेंशन, फॉरेंसिक साइंस और ग्रीन बिल्डिंग जैसे कई क्षेत्रों में हरियाणा को आगे बढ़ाने में पुलिस बल की अहम भूमिका रही।
पत्र के अंत में उन्होंने लिखा कि आईपीएस और हरियाणा पुलिस ही उनकी पहचान हैं। जो कुछ भी वे कर पाए, उसमें इन दोनों का बड़ा योगदान रहा। कबीर दास की पंक्तियों के साथ उन्होंने अपनी बात खत्म की, "दास कबीर जतन से ओढ़ी, ज्यों-की-त्यों धर दीन्हीं चदरिया।"
--आईएएनएस
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