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बांग्लादेश में यूनुस प्रशासन पर कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव: रिपोर्ट

ढाका, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस कथित तौर पर कट्टर इस्लामी एजेंडों को बढ़ावा दे रहे हैं या उन्हें सक्षम बना रहे हैं। सरकार में मंत्री और अधिकारी ऐसे चरमपंथी समूहों जैसे जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब-उत-तहरीर के प्रभाव में काम कर रहे हैं, यह सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया।
 
बांग्लादेश में यूनुस प्रशासन पर कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव: रिपोर्ट

ढाका, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस कथित तौर पर कट्टर इस्लामी एजेंडों को बढ़ावा दे रहे हैं या उन्हें सक्षम बना रहे हैं। सरकार में मंत्री और अधिकारी ऐसे चरमपंथी समूहों जैसे जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब-उत-तहरीर के प्रभाव में काम कर रहे हैं, यह सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कट्टरपंथी मंच ‘इंक़िलाब मंच’ के प्रवक्ता शरिफ उस्मान हादी की हत्या ने यूनुस नेतृत्व वाली सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार को इस घटना से लाभ होने की आशंका जताई जा रही है और सवाल उठता है कि आने वाले महीनों में बांग्लादेश में और कितनी जानें जा सकती हैं।

“इस्लामी धार्मिक शिक्षा पृष्ठभूमि वाले हादी पिछले एक साल से टीवी पर कट्टरपंथी बयानबाजी, पत्रकारों और राजनीतिक टिप्पणीकारों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियां और मुक्ति संग्राम के प्रतीकों पर हमलों के लिए सुर्खियों में रहे हैं। वह ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ के विचार को भी बढ़ावा देते थे, जिसमें भारत के हिस्सों को शामिल करने की बात कही जाती थी,” नॉर्थईस्ट न्यूज़ की रिपोर्ट में कहा गया।

रिपोर्ट के अनुसार, 11 दिसंबर को मुहम्मद यूनुस प्रशासन ने 12 फरवरी, 2026 को होने वाले चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया। इसके तुरंत बाद हादी ने धाका-8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की। अगले ही दिन, दिनदहाड़े एक मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने उन्हें सिर में गोली मार दी।

वीडियो फुटेज के आधार पर यह पता चला कि हादी के हमलावर का संबंध पहले उसी समूह से था, जिसका वह हिस्सा रहा था। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि हमलावर एक पूर्व निम्न-स्तरीय अवामी लीग छात्र नेता था, जो अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हटने के बाद हथियारों की डकैती के आरोप में गिरफ्तार हुआ था और बाद में जमानत पर रिहा किया गया। इस पर कई गंभीर सवाल उठते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि जेलें बुजुर्ग कैदियों से भरी हैं और न्यायालय कार्यकारी निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं, केवल आदेश मिलने पर ही जमानत दी जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आरोपित डकैत को जमानत कैसे मिल सकती है।

यूनुस प्रशासन ने सैकड़ों आतंकियों के मामले में जमानत दी या आरोप वापस ले लिए हैं, जिससे रिपोर्ट में सवाल किया गया कि क्या हमलावर उसी समूह का हिस्सा था, जिस पर अंतरिम सरकार भरोसा करती थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया, “जब अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा था, तो पार्टी से जुड़े व्यक्ति ने हथियार के साथ डकैती कैसे की? क्या मामला फर्जी था, या वह अवामी की छत्रछाया में काम कर रहा कट्टरपंथी था- जैसा कि जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई छात्र नेता थे? कई एनसीपी नेता पहले अवामी छात्र मोर्चा के सदस्य रहे हैं। जमात कार्यकर्ताओं ने भी विश्वविद्यालय चुनावों में अवामी संरचनाओं के भीतर काम किया। जमात ने खुद स्वीकार किया कि उसने जुलाई के विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया, जबकि वह गुप्त रूप से अवामी के अधीन था।”

--आईएएनएस

डीएससी