अमेरिका ने ईरान के तेल नेटवर्क पर कसा शिकंजा, भारत से जुड़ी शिपिंग कंपनियां भी निशाने पर
वॉशिंगटन, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को ईरान के गुप्त पेट्रोलियम शिपिंग नेटवर्क से जुड़े 29 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिए। इनमें भारत से जुड़ी कई कंपनियां और परिचालन इकाइयां भी शामिल हैं, जिन पर सैकड़ों मिलियन डॉलर मूल्य के ईरानी तेल की ढुलाई में शामिल होने का आरोप है।
अमेरिकी वित्त विभाग (ट्रेजरी) ने कहा कि यह कार्रवाई ईरानी शासन की उन आय धाराओं को रोकने के लिए की गई है, जिनका इस्तेमाल आतंकवाद और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।
प्रिंसिपल डिप्टी स्पोक्सपर्सन टॉमी पिगॉट ने कहा, “अमेरिका ईरानी शासन की उस आय के प्रवाह को रोकने के लिए कदम उठा रहा है, जिसका उपयोग आतंकवाद और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।”
ट्रेजरी के मुताबिक, प्रतिबंधित नेटवर्क में मिस्र के व्यवसायी हातेम एलसैद फरीद इब्राहिम सक्र द्वारा संचालित कंपनियां और जहाज शामिल हैं, जिनकी गतिविधियां संयुक्त अरब अमीरात, भारत, मार्शल आइलैंड्स और पनामा जैसे देशों में फैली हुई हैं। सक्र से जुड़ी कंपनियां 29 में से सात जहाजों से संबंधित पाई गई हैं।
पिगॉट ने कहा, “यह कार्रवाई ईरान की उस क्षमता को और सीमित करती है, जिसके जरिए वह गुप्त और धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।”
भारत से जुड़े जिन जहाजों के नाम सामने आए हैं, उनमें बारबाडोस ध्वज वाला जहाज फ्लोरा डोल्से शामिल है, जिसका स्वामित्व और प्रबंधन भारत स्थित रुकबाट मरीन सर्विसेज कंपनी के पास है। आरोप है कि इस जहाज ने अप्रैल 2025 से अब तक ईरानी फ्यूल ऑयल के लाखों बैरल की ढुलाई की है।
इसी तरह पनामा ध्वज वाला जहाज ऑरोरा, जिसे भारत स्थित गोल्डन गेट शिप मैनेजमेंट संचालित करता है, पर ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों, जिनमें नैफ्था और कंडेन्सेट शामिल हैं, के लाखों बैरल के परिवहन का आरोप है।
एक अन्य जहाज राम्या, जिसे भारत की दर्या शिपिंग प्राइवेट लिमिटेड संचालित और प्रबंधित करती है, पर सितंबर 2025 से अब तक 1 लाख बैरल से अधिक ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन का आरोप लगाया गया है।
ट्रेजरी के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के अनुसार, ये प्रतिबंधित जहाज ईरान के तथाकथित “शैडो फ्लीट” का हिस्सा हैं, जो भ्रामक और धोखाधड़ीपूर्ण शिपिंग तरीकों से ईरानी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।
इन जहाजों और उनसे जुड़ी प्रबंधन कंपनियों पर ईरानी कच्चे तेल और फ्यूल ऑयल, बिटुमेन, नैफ्था और कंडेन्सेट जैसे उत्पादों के परिवहन में शामिल होने का आरोप है।
ट्रेजरी ने बताया कि इस नेटवर्क में अक्सर केवल एक-एक जहाज के स्वामित्व और प्रबंधन के लिए कंपनियां बनाई जाती हैं, ताकि वास्तविक लाभकारी स्वामित्व को छिपाया जा सके और प्रतिबंधों से बचा जा सके। कई जहाज वर्षों से ईरानी पेट्रोलियम की ढुलाई से जुड़े रहे हैं, जिनमें 2025 में बड़ी मात्रा शामिल है।
एक अलग बयान में आतंकवाद और वित्तीय खुफिया मामलों के लिए ट्रेजरी के अंडर सेक्रेटरी जॉन के. हर्ली ने प्रशासन के व्यापक उद्देश्य को रेखांकित किया।
हर्ली ने कहा, “जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप कई बार कह चुके हैं, अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमति नहीं देगा। ट्रेजरी उस पेट्रोलियम राजस्व से ईरानी शासन को वंचित करता रहेगा, जिसका इस्तेमाल वह अपनी सैन्य और हथियार योजनाओं के लिए करता है।”
ट्रेजरी के अनुसार, ये नए प्रतिबंध कार्यकारी आदेश 13902 के तहत लगाए गए हैं, जो ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों को निशाना बनाता है। राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा पद संभालने के बाद से अब तक 180 से अधिक जहाजों पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, जिससे ईरानी तेल निर्यातकों की लागत बढ़ी है और प्रति बैरल मिलने वाली आय में कमी आई है।
--आईएएनएस
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