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मणिपुर: मैतेई विधायक ने आदिवासी इलाकों का दौरा किया, जानकार बोले- कायम की मिसाल

इम्फाल, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। मई 2023 में मणिपुर जातीय संघर्ष से जूझ रहा था। अब हालात सुधर रहे हैं। सरकार संबंधों को बेहतर करने में जुटी है। इसी के तहत पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक युमनाम खेमचंद सिंह ने सोमवार को आदिवासी बहुल उखरुल और कामजोंग जिलों का दौरा किया। संघर्ष शुरू होने के बाद से यह किसी भी मैतेई नेता का पहला दौरा था।
 
मणिपुर: मैतेई विधायक ने आदिवासी इलाकों का दौरा किया, जानकार बोले- कायम की मिसाल

इम्फाल, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। मई 2023 में मणिपुर जातीय संघर्ष से जूझ रहा था। अब हालात सुधर रहे हैं। सरकार संबंधों को बेहतर करने में जुटी है। इसी के तहत पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक युमनाम खेमचंद सिंह ने सोमवार को आदिवासी बहुल उखरुल और कामजोंग जिलों का दौरा किया। संघर्ष शुरू होने के बाद से यह किसी भी मैतेई नेता का पहला दौरा था।

राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकारों ने सिंह के इस कदम को शानदार बताया है। उनके मुताबिक ये इस क्षेत्र में एक नई शुरुआत की मिसाल है। इससे मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच रिश्ते सुधरेंगे।

मणिपुर विधानसभा के पूर्व स्पीकर और मैतेई समुदाय से वास्ता रखने वाले सिंह ने लिटन और चसाद गांवों का दौरा किया और विभिन्न समुदायों से बातचीत की।

लिटन उखरुल जिले में आता है, जबकि चसद कामजोंग में है; ये दोनों नागा-बहुल इलाके हैं जहां कुकी-जो भी रहते हैं।

एक करीबी नेता ने कहा कि मैतेई और कुकी-जो के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के 31 महीनों बाद, पहली बार बातचीत शुरू करने के लिए खेमचंद सिंह ने पहाड़ी जिलों के दो कुकी गांवों का दौरा किया।

उन्होंने लिटन सारेखोंग बैपटिस्ट चर्च में कुकी राहत शिविर का दौरा किया और हिंसा के दौरान अपने घर छोड़कर भागे लोगों से बात की।

इम्फाल वेस्ट जिले के सिंगजामेई विधानसभा क्षेत्र से विधायक सिंह ने कहा, "क्रिसमस आने पर, हम सभी को राज्य में शांति लौटाने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।"

खिलाड़ी से नेता बने और पड़ोसी राज्य में असम ताइक्वांडो एसोसिएशन के संस्थापक युमनाम सिंह पहले मणिपुर विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। उन्होंने गांववालों को दिलासा दिया और उनसे कहा कि राज्य में रहने वाले सभी समुदायों का मुख्य लक्ष्य शांति लौटना होना चाहिए।

युमनाम ने राहत शिविर में 173 कुकी कैदियों को याद दिलाया कि दुनिया के हर हिस्से में लड़ाई-झगड़ा होता है, लेकिन इसे राज्य की तरक्की और विकास में रुकावट नहीं बनने देना चाहिए।

युमनाम ने आगे कहा, “दुनिया भर में अलग-अलग समुदायों के बीच लड़ाई-झगड़े होते हैं। लेकिन हमें मौजूदा मतभेदों के बावजूद मिलजुलकर रहना सीखना चाहिए। एक-दूसरे के गांवों में जाने में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हमें इस लड़ाई-झगड़े को अपने बच्चों के भविष्य पर असर नहीं डालने देना चाहिए। हम बड़ों के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमें अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।”

सिंह ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं, और अपने कार्यकाल में वो केंद्र से विस्थापितों के लिए 7,000 घर बनाने का पैकेज भी लाए थे।

उन्होंने पहले भी इम्फाल के मणिपुर कॉलेज में मैतेई समुदाय के विस्थापितों के लिए सात महीने से ज्यादा समय तक एक राहत शिविर लगाया था।

विधायक ने कैदियों को सेरू और सुगुनु गांवों में उनके घरों में लौटने में मदद की। राज्य बीजेपी के उपाध्यक्ष और जाने-माने तांगखुल नागा नेता होपिंगसन शिमरे भी सिंह के साथ थे। उन्होंने शानदार काम किया, वो भी तब जब आज हर कोई दूसरे समुदाय के इलाके में जाने से हिचकिचाता है।

उन्होंने कहा कि युमनाम कुकी राहत कैंप में कदम रखने वाले पहले बीजेपी मैतेई एमएलए हैं। एक और तांगखुल नागा नेता और ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (एडीसी) के पूर्व अध्यक्ष मार्क लुइथिंग ने कहा कि युमनाम सिंह मई 2023 की हिंसा के बाद लोगों से लोगों का संपर्क शुरू करने वाले पहले नेता हैं।

3 मई, 2023 को मैतेई और कुकी-जो के बीच जातीय हिंसा शुरू हो गई, जिसमें 260 से ज्यादा लोग मारे गए थे।1,500 घायल हुए और 70,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे। यह हिंसा मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ के बाद हुई थी।

एन. बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद, 13 फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।

--आईएएनएस

केआर/