लंबित अपीलों की सुनवाई के लिए राज्य मंत्री और सचिवों को अर्ध-न्यायिक शक्तियां दी गईं: चंद्रशेखर बावनकुले
नागपुर, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। राज्य विधानसभा ने गुरुवार को सर्वसम्मति से महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया, जिसके तहत राज्य मंत्रियों (एमओएस) और सचिवों को अर्ध-न्यायिक शक्तियां सौंपी जाएंगी।
राजस्व विभाग में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को निपटाने के लिए और साथ ही उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए यह कदम उठाया गया।
इस संशोधन के तहत अब राज्य मंत्री और सचिवों को राजस्व मंत्री के पास लंबित अपीलों की सुनवाई करने की अनुमति मिल गई है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि राजस्व विभाग के पास वर्तमान में 13,000 से अधिक अर्ध-न्यायिक मामले लंबित हैं।
उच्च न्यायालय की छत्रपति संभाजीनगर पीठ के एक फैसले के अनुसार, केवल नियमों के माध्यम से मंत्रिस्तरीय शक्तियों का प्रत्यायोजन नहीं किया जा सकता, इसके लिए कानून में ही बदलाव आवश्यक था, जिसके कारण यह विधेयक पेश किया गया।
मंत्री बावनकुले ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि हम उप तहसीलदार से लेकर मंत्री स्तर तक की सभी अपीलों का निपटारा 90 दिनों के भीतर करने की योजना बना रहे हैं। मार्च सत्र तक आवश्यक कानूनी संशोधन किए जाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि इन मामलों का निपटारा तीन महीने के भीतर हो जाए और सुनवाई में देरी न हो।
चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। शिवसेना के यूबीटी विधायक भास्कर जाधव ने पूछा कि यदि मंत्री की शक्तियों को राज्य मंत्री को सौंपने के लिए कानून की आवश्यकता है, तो यह नियम केवल राजस्व विभाग तक ही सीमित क्यों है? अन्य विभागों के मंत्रियों का क्या? यह निर्णय सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाना चाहिए था। साथ ही, राज्य मंत्री को सौंपी गई शक्तियों की सीमाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित की जानी चाहिए।
इस दौरान विधायक जयंत पाटिल, विजय वडेट्टीवार और अभिजीत पाटिल भी उपस्थित थे। पाटिल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हजारों मामले न केवल मंत्रालय में बल्कि निचले स्तर पर भी लंबित हैं।
वडेट्टीवार ने इस बात पर जोर दिया कि केवल 90 दिन का नियम बनाना पर्याप्त नहीं है, इसका कड़ाई से पालन करना अत्यंत आवश्यक है। आखिरकार, राजस्व मंत्री द्वारा अगले वर्ष मार्च में व्यापक संशोधनों का आश्वासन दिए जाने के बाद, विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया।
--आईएएनएस
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