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भारत के पेंट उद्योग का आकार 2030 तक 16.5 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत का पेंट और कोटिंग्स उद्योग साल 2030 तक तेजी से बढ़ने वाला है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस उद्योग के हर साल लगभग 9.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है। साल 2024 में यह 9.6 अरब डॉलर था, जो अगले 5 वर्षों में बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो सकता है।
 
भारत के पेंट उद्योग का आकार 2030 तक 16.5 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत का पेंट और कोटिंग्स उद्योग साल 2030 तक तेजी से बढ़ने वाला है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस उद्योग के हर साल लगभग 9.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है। साल 2024 में यह 9.6 अरब डॉलर था, जो अगले 5 वर्षों में बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो सकता है।

रुबिक्स डेटा साइंसेज (रुबिक्स) की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस उद्योग की बढ़त के कई कारण हैं। देश में तेजी से शहरीकरण, लोगों की आय में बढ़ोतरी, नई इमारतों व सड़कों का निर्माण और घरों की संख्या बढ़ना इसकी मुख्य वजहें हैं।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है और सरकार इसे आने वाले 5 वर्षों में टॉप पर पहुंचाना चाहती है, जिससे कारों और फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाले पेंट और कोटिंग्स की मांग बढ़ रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) जैसी योजनाओं के कारण भी पेंट उद्योग को फायदा मिल रहा है। इन योजनाओं के तहत लाखों घर बनाए जा रहे हैं, जिससे पेंट की मांग बढ़ रही है।

हालांकि पेंट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन वित्त वर्ष 2025 में इस क्षेत्र को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बड़ी पेंट कंपनियों का मुनाफा कम हुआ, शहरों में मांग थोड़ी धीमी रही और कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली।

देश में तकरीबन 3,000 छोटे और असंगठित पेंट कंपनियां हैं, जिन्हें सरकारी नियमों का पालन, नई तकनीक में निवेश और मार्केटिंग में दिक्कतें आईं, जिससे उनका बाजार में टिके रहना मुश्किल हो गया।

वहीं इस उद्योग में नई कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है। बड़ी कंपनियां आपस में मिलकर (विलय करके) और मजबूत बन रही हैं, जिससे छोटे खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ रहा है। भारत ज्यादातर पेंट विकासशील देशों को निर्यात करता है, लेकिन उन्नत और खास तरह के पेंट और कच्चा माल (जैसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड) विकसित देशों से आयात करता है।

वित्त वर्ष 2026 के पहले छह महीनों में भारत ने 219 मिलियन डॉलर का पेंट आयात किया, जबकि 61 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ।

भारत के पेंट व्यापार में सॉल्वेंट आधारित पेंट का हिस्सा सबसे ज्यादा है। यह पेंट उद्योग और गाड़ियों में अधिक इस्तेमाल होते हैं, इसलिए निर्यात का 84 प्रतिशत और आयात का 75 प्रतिशत इन्हीं का है।

रिपोर्ट में कहा गया कि आजकल लोग पर्यावरण अनुकूल यानी कम वीओसी वाले और बेहतर क्वालिटी वाले पेंट पसंद करने लगे हैं। भविष्य में नई तकनीक, नैनोटेक्नोलॉजी और उच्च गुणवत्ता वाले पेंट इस उद्योग की दिशा बदल सकते हैं।

--आईएएनएस

दुर्गेश बहादुर/एबीएस